________________
. २१८
Jain Education International
गाथाङ्क ३,१५,२७,६७,७८,७९,८०
७१,८३
७८ १,९,२२,२४,३१,३९,४६,५०
५२,५३,५८,६८
संस्कृत युत युक्त युक्तासंख्यात योग
हिन्दी सहित। सहित। 'युक्तासंख्यात' नामक संख्या-विशेष। 'योग' नामक मार्गणा-विशेष।
प्राकृत जु(य) जुत्त जुत्तासंखिज्ज जोग(अ)(य) (५-११,४९-६) जोगछेय जोगिन् जोयणसहस जंबूद्वीवपमाणय
८र
६२,६३
७३ ७२
योगच्छेद योगिन् योजनसहस्र जम्बूद्वीपप्रमाणक
योग के निर्विभाग अंश। तेरहवें गुणस्थानवाला जीव। हजार योजना 'जम्बू' नामक द्वीप के बराबर।
For Private & Personal Use Only
चौथा कर्मग्रन्थ
३७
ठाण ठिइबंध
स्थान स्थितिबन्ध
गुणस्थान या मार्गणास्थान। कर्म-बन्ध की काल-मर्यादा।
६५,७६-२ ७४,७५,८३
तृतीय
तइय तस्मि तस्स
तीसरा। उसमें।
तस्मिन्
८३
तस्य
उसका।
www.jainelibrary.org