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गाथाङ्क ६,३२
५४,५७ ६-२,१२,१७,२०,२८,३४
६४,६५ १६,१७,१८,२०,२१,२२,२७
प्राकृत चतुरिंदि चउवीस चक्खु(६२-४) चरण चरम चरिमदुग चिय
संस्कृत चतुरिन्द्रिय चतुर्विंशति चक्षुष् चारित्र चरिम चरिमदिळक
हिन्दी
चार इन्द्रियोंवाला जीव-विशेष। चौबीस। 'चक्षुर्दर्शन' नामक दर्शन-विशेष! 'चारित्र'। अखीरका। अन्त के दो (तेरहवाँ और चौदहवाँ गुणस्थान।)
६०
७४
एव
ही।
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चौथा कर्मग्रन्थ
४,८-२,१७,१८,२३,२७,३६, ३७,५९,६१,५०-२,६१
१०
छः।
छक्क,ग) षट् (-क) छक्काय (५१-९) षट्काय छचत्त
षट्चत्वारिंशत् छजियवह षड्जीववधः (१७७-१०) छलेस षड्लेश्या
و
पाँच 'स्थावर' और एक 'बस', इस तरह छ: काय। छयालीसा पाँच 'स्थावर' और एक 'बस' इस तरह छः प्रकार के जीवों का वधा कृष्ण, नील, कापोत, पीत, पद्म और शुक्ल' नामक छ: लेश्याएँ।
७,२५
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