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________________ परिशिष्ट १५३ (३) तीसरे विभाग में इतना विकास विवक्षित है कि जिससे सुदीर्घ भूतकाल में अनुभव किये हुये विषयों का स्मरण और स्मरण द्वारा वर्तमान काल के कर्त्तव्यों का निश्चय किया जाता है। यह ज्ञान, विशिष्ट मन की सहायता से होता है। इस ज्ञान को 'दीर्घकालोपदेशिकी संज्ञा' कहा गया है। देव, नारक और गर्भज मनुष्य- तिर्यञ्च, दीर्घकालोपदेशिकी संज्ञावाले हैं। (४) चौथे विभाग में विशिष्ट श्रुतज्ञान विवक्षित है। यह ज्ञान इतना शुद्ध होता है कि सम्यक्त्वयों के अतिरिक्त अन्य जीवों में इसका संभव नहीं है। इस विशुद्ध ज्ञान को 'दृष्टिवादोपदेशिकी संज्ञा' कहा है। शास्त्र में जहाँ कहीं संज्ञी - असंज्ञी का उल्लेख है, वहाँ सब जगह असंज्ञी का मतलब ओघसंज्ञावाले और हेतुवादोपदेशिका की संज्ञावाले जीवों से है तथा संज्ञी का मतलब सब जगह दीर्घ कालोपदेशिकी संज्ञा वालों से है। इस विषय का विशेष विचार तत्त्वार्थ- अ. २, सू. २५ वृत्ति, नन्दी सू. ३९, विशेषावश्यक गा. ५०४ - ५२६ और लोकप्र., - स. ३, श्लो. ४४२४६३ में है। संज्ञी - असंज्ञी के व्यवहार के विषय में दिगम्बर - सम्प्रदाय में श्वेताम्बर की अपेक्षा थोड़ा-सा भेद है । उसमें गर्भज-तिर्यञ्चों को संज्ञीमात्र न मानकर संज्ञी तथा असंज्ञी माना है। इसी तरह सम्मूच्छिम तिर्यञ्च को सिर्फ असंज्ञी न मानकर संज्ञी - असंज्ञी उभयरूप माना है । ( जीव, गा. ७९) इसके सिवाय यह बात ध्यान देने योग्य है कि श्वेताम्बर - ग्रन्थों में हेतुवादोंपदेशिकी आदि जो तीन संज्ञायें वर्णित हैं, उनका विचार दिगम्बरीय प्रसिद्ध ग्रन्थों में दृष्टि गोचर नहीं होता । परिशिष्ट 'घ' पृ. ११ के 'अपर्याप्त' शब्द पर (क) अपर्याप्त के दो प्रकार हैं- (१) लब्धि- अपर्याप्त और (२) करणअपर्याप्त। वैसे ही (ख) पर्याप्त के भी दो भेद हैं- (१) लब्धि - पर्याप्त और (२) करण- पर्याप्त। (क) १ जो जीव, अपर्याप्त नामकर्म के उदय के कारण ऐसी शक्तिवाले हों, जिससे कि स्वयोग्य पर्याप्तियों को पूर्ण किये बिना ही मर जाते हैं, वे 'लब्धिअपर्याप्त' हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001895
Book TitleKarmagrantha Part 4 Shadshitik
Original Sutra AuthorDevendrasuri
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year2009
Total Pages290
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size13 MB
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