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श्रीमद्देवेन्द्रसूरि - विरचित कर्मविपाक अर्थात् कर्मग्रन्थ
(चतुर्थ भाग )
विद्यापीठ
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हिन्दी अनुवाद
पं० सुखलालजी संघवी
दर्शनावरण
वेदनीय
मोहनीय
ज्ञानावरण
कर्म चक्र
Falle
अन्तराय
नाम
गोत्र
पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी
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