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________________ २५० ] नाट्यदर्पणम् [ का०६७, सू० १४४ प्रविश्य-प्रतीहारी] देव उवस्थिदो [देव उपस्थितः।] रामः-अयि ! कः ? प्रतीहारी–देवस्स आसन्नपरिचारो दुम्मुहो इति [देवस्य आसन्नपरिचारको दुर्मुखः] इति ॥" अत्राकस्मात् प्रतीहारवचनमन्याभिप्रायप्रयुक्तं प्रस्तुतरामवचसा संयुज्यमानत्वाद् 'गएडः'। यथा वा बालिकावञ्चितकेकंसः–रिष्टस्तावदुदप्रगविकटः शैलेन्द्रकल्पो वृषः, सप्तद्वीपसमुद्रजस्य पयसः शोषक्षमा पूतना। केशी वाजितनुः खुरैर्विघटयेदापन्नगान्मेदिनी, साधं बन्धुभिरेवमूर्जितबलं कः कंसमास्कन्दति । [नेपथ्ये) जो अन्नओ पसूओ अन्नेण य वढिओ महुप्पहवो। कण्हो सो परउट्ठो मारेइ न कोइ धारेइ ॥ [योऽन्यतः प्रसूतोऽन्येन च वर्धितो मधुप्रभवः । कृष्णः स परपुष्टो मारयति न कोऽपि न धारयति ।]" यह बाहु गलेमें शीतल और चिकना हार है । इसका कौनसा भाग प्रिय नहीं है ? [सब कुछ ही प्रिय है] । किन्तु यदि कुछ असह्य है तो वह इसका वियोग है। [प्रविष्ट होकर] प्रतीहारी–वेव ! उपस्थित है। राम-अरे कौन ? [उपस्थित है। प्रतीहारी-पापका प्रासन्न परिचारक दुर्मुख ।" इस [संवाद] में अन्य अभिप्रायसे प्रयुक्त [अर्थात् दुमुखके प्रागमनको सूचना देनेके अभिप्रायसे कहा गया] भी प्रतीहारीका वचन ['यदि परमसह्यस्तु विरहः' इस प्रस्तुत रामवचनके साथके-साथ मिल जानेसे 'गण्ड' [नामक वोथ्यङ्गका उदाहरण बन गया है । अथवा जैसे 'बालिकावञ्चितक' में - "कंस्-बड़े-बड़े सींगोंसे भयङ्कर रिष्ट, महान् पर्वतके समान वृष, सातों द्वीपोंके समुद्रोंमें होनेवाले सारे जलको सोख जानेमें समर्थ पूतना, [ये सब मेरे सहायक हैं] । और प्रश्व-रूपधारी केशी अपने खुरोंसे पाताल तक भूमिको खोद डाल सकता है इस प्रकारके बन्धुओं [सहायकों के कारण प्रत्यन्त शक्तिशाली कंसको कौन पराजित कर सकता है ? . [नेपथ्यमें] जो किसी दूसरेसे उत्पन्न हुमा और किसी दूसरेसे पाला गया [अर्थात देवकी-वसुदेव का पुत्र और नन्दके द्वार पाला गया कृष्ण] वह अत्यन्त बलशाली [परिपुष्ट, मधुसे उत्पन्न] माधव कृष्ण मार रहा है और कोई बचानेवाला नहीं है।" रंगभूमिमें प्रविष्ट [कंस रूप] पात्रके द्वारा पठित वचनके साथ मिल जाने वाला यह नेपथ्य-पठित अनिष्टार्थ सूचक वचन गण्ड [का उदाहरण बन गया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001892
Book TitleNatyadarpan Hindi
Original Sutra AuthorRamchandra Gunchandra
AuthorDashrath Oza, Satyadev Chaudhary
PublisherHindi Madhyam Karyanvay Nideshalay Delhi
Publication Year1990
Total Pages554
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size9 MB
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