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________________ ८ श्री हेमचन्द्रसू. मं. ना चरणकमलने विषे हंस समान तथा शास्त्रना रहस्योना जाणकार श्री महेन्द्रमुनीश्वरे श्री वर्धमान गणि तथा श्री गुणचन्द्र गणि साथै आ कुमारपाल प्रतिबोध ग्रन्थ सांभल्यो छे. ( ५ ) श्री देवचन्द्र मुनि तेमणे चन्दलेखाविजय प्रकरण रच्यु छ ( ६ ) श्री यशचन्द्र गणि- श्री मेरुतुंगसू. महाराजे सं० १३६१ माँ रचेल प्रबन्धचितामणिमां उल्लेख छे. (७) श्री उदयचन्द्र - तेमना उपदेशथी श्री देवचन्द्रसू. म. ना ( शिष्य श्री कनकप्रभ मुनिए हैमन्याससारसमुद्धार कर्यो छे श्री उदयचन्द्र मुनि जीवनभर व्याख्यान रूपी ज्ञानामृतनी परब समान हता. (८) श्री बालचन्द्रसू. म. - ए पू. रामचन्द्रसू. म. ना हरोफ हता. अजयपालना प्रीति पात्र हता. श्री रामचन्द्रसू. म.ना मृत्यु मां तेमने आचार्यपद आपवानु कारण बन्यु हतु' तेमणे 'स्नातस्या' स्तुति बनावी छे. श्री सिद्धराजे श्री हेमचन्द्रसू. म. ने एक बार कहयुं 'आप सरस्वती पुत्र छो. सर्वज्ञपुत्र छो आपनी पाटने दीपावे तेवा विद्वान गुणवान शिष्य कोण छे ?' सूरिजीए कहयु', 'पं. रामचन्द्र गुणवान अने संघमान्य छे' राजा पं. श्री रामचंद्र गणिने वंदन करी प्रसन्न थयो. एक वार राजाए पं. श्री रामचन्द्र गणिने पूछयु' 'उनालाना दिवसो लांबा केम होय छे. ?' कविए कहयुं 'तमे दिग्विजय करवाथी दोडता घोडानी खरीथी उडेल धूलथी आकाशगंगामां कादव थतां त्या धो उगो ते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001891
Book TitleNalvilasnatakam
Original Sutra AuthorRamchandrasuri
AuthorVijayendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1984
Total Pages154
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size6 MB
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