SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 48
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रस्तावना ३९ जयरामे गाथा छंदमां धर्मपरीक्षा नामे कृति रची हती. एने हरिषेणे वि० सं० २०४४ मां अपभ्रंशमां पद्धडिया बंधनां गूंथी. आ धम्माक्खामां तेमज वि० सं० १०७० मां अमितगतिए संस्कृतमां रचेलो धर्म रीक्षामां मधुविन्दु-दृष्टांत होवानो उल्लेख र्डा० उपाध्येए बृहत्कथाकोषना टिप्पणमां कर्यो छे. ' साधारण कविना समकालीन दिगंबर मुनि श्रीचंद्रे अणहिलपुर पाटणमां ज जेनी रचना विलासवई - कहानी रचना पछीना बे त्रण वर्णमां ज करेली छे, तेवी अपभ्रंश 'कहकोसु' मां पण आ कथानक आवे छे. २ जंबूस्वामी विषयक अनेक रचनाओमां आ दृष्टांत संभवे छे. (कारण वमुदेवहिंडीमा जंबूस्वामीना कथानक मां ए दृष्टांत आबेलुं छे.) आवी बे दिगंबर कृतिओ - १. ब्रह्म जिनदास रचित संस्कृत जंबूस्वामि चरित्र (वि. सं. १५२० ) अने २. पं० राजमल्लविरचित संस्कृत जंबूस्वामि चरित्र (वि. सं. १६३२) - मां आ दृष्टांत होवानी नोंध ङ. वी. पी. जैने लीधी छे. उ श्वेताम्बर परंपरामां वसुदेवहिंडी अने समराइच्च-कहानी नोंध लेवाई ज गई छे. त्यारबाद जयसिंहसूरिना धर्मोपदेशमाला विवरणमां आ दृष्टांत सुंदर रीते रजू थयुं छे. आ संस्कृत रचना वि. सं. ९१५ मां थयेल छे. अगियारमी सदीना पूर्वकाळमां प्राकृत जंबूचरियं, जेनी रचना गुणपाल मुनिए करी छे, तेना आठमा उद्देशमां आ दृष्टांत छे. “ हेमचंद्राचार्यना परिशिष्ट - पर्वना प्रथम सर्गमां श्लोक दृष्टांत जंबूचरित्र अंतर्गत आवे छे ५ १९९ थी २२३ सुधी विस्तारथी आ वि. सं. १२७९-१२९० ना समयमा उदयप्रभसूरि-रचित संस्कृत धर्माभ्युदय - महाकाव्यमां पण आ दृष्टांत आवे छे ७ समराइच्च-कहा उपरथी रचायेल प्रद्युम्नसूरिना संस्कृत समरादित्य- संक्षेप ( रचना संवत • (१३२४) मां बीजा भवमां उपनय साथे (श्लोक ३१० - ३४४) आ दृष्टांत आवेल छे. गुजराती भाषामा उपाध्याय यशोविजयजी रचित जंबूस्वामी - रास (वि. सं. १७३९) मां अने पद्मविजयना समरादित्य केवलीनो रास (वि. सं १८३९ ) ० मां बीजा खंडनी पंदरमी दाळमां आ दृष्टांत वणायेल छे. ए उपरांत मधुबिंदुआनी सज्झाय नामे एक स्वतंत्र सज्झाय - जेना कर्त्ता १. बृहत्कथाकोष - टिप्पण पृ० ३८८ २. कह - कोसु ( कथाकोश) पृ० ३५३ ३. जंबूसामिचरिउ - वीर, प्रस्तावना पृ० ६२. ४. धर्मोपदेशमाला - विवरण, कथा ७३ मो, पृ० १४३. ५. जंबूचरियं गुणपाल, पृ० ८३. ६. परिशिष्टपर्व - हेमचंद्र पृ० ६२-६५ ७. धर्माभ्युदय महाकाव्य - उदयप्रभसूरि, संपा० मुनि चतुरविजय तथा पुण्यविजयजी, पृ० ७० ८. समरादित्य - संक्षेप, संपा. जेकोबी. पृ० ५०-६० ९. जंबूस्वामीरास - उपाध्याय यशोविजयजी, संपा० डा. रमणलाल ची. शाह, पृ० ३२-३५ - १०. समरादित्य केवळीनो रास पं०पद्मविजयजी पृ० ६० - ६२. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001874
Book TitleVilasvaikaha
Original Sutra AuthorSadharan
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1977
Total Pages310
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy