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________________ विलासबई - कहा बौद्ध जातकोमां पण आ कथावस्तुवाळा जातको मळे छे. समिद्धि जातकमां बोधिसत्त्व उपर आसक्त एक देवकन्यानी प्रणय-याचना अने बोधिसत्त्व तरफथी उपदेश साथे अस्वीकारनी कथा आवे छे.' ३४ बंधन - मोक्ष जातकमां बोधिसत्त्व एक राजपुरोहित होय छे. राजानी गेरहाजरीमां स्वैरचारिणी राणी तेने पोतानी साथ संबंध करवा ललचावे छे. वफादार राजसेवक ( बोधिसत्त्व) इन्कार करे छे. राजा पाछो फरतां राणीए राजपुरोहित विरुद्ध पोताना शीलभंगनो प्रयत्न करवानी फरियाद करी. राजा राजपुरोहितना वधनी आज्ञा करी. पण अंते राजपुरोहिते चतुराईपूर्वक राजाने साची वातनुं भान कराव्यु . * - महापद्म- जातक कथामां अपर पुत्र पर कामासक्त थई तेना तरफथी निराशा प्राप्त थतां तेना पर वेर लेवाना राणीना प्रयासनो जे कथा छे ते प्रस्तुत अनंगवती राणीना कथानक साथै घणुं ज साम्य धरावे छे. आ जातकमा बोधिसत्त्व वाराणसीना राजा ब्रह्मदत्तना पद्मकुमार नामे पाटवी कुंवर होय छे. एकदा तेनी अपरमाताए राजानी गेरहाजरीमां तेनी पासे अघटित प्रस्ताव मूक्यो. विनयी कुमारे अस्वीकार कर्यो अने तेने आवा निंदनीय मार्गथी दूर रहेवा उपदेश आप्यो. हताश राणीए राजाना पाछा आवतां ज पोताना उपर कुमारे बलात्कार करवानो प्रयास कर्यो होवानो देखाव करी कुमार पर आळ चढान्युं राजाए पद्मकुमारने चोर-प्रपात परथी फेंकी तेनो वध करवानी सेवकोने आज्ञा करी. पर्वत-स्थित देवतानी सहायथी कुमार बची गयो अने प्रव्रजित थई हिमाचलमां तप करवा लाग्यो. पाछळथी साचो वात जाणतां पश्चात्तापदग्ध राजाए कुमारने पाछो लाववा प्रयत्न कर्यो . वसुदेवहिंडीमां पण आ जातनी एक कथा मळे छे. कृष्णपुत्र प्रद्युम्नने जन्मतांवेत एक पूर्वभवनो दूश्मन देव उपाडी जाय छे अने एक अटवीमां फेंकी दे छे. त्यांथी पसार थता कालसंवर अने कनकमाला नामे विद्याधर पति-पत्नी तेने बचावी लई उछेरे छे. ते युवान थतां तेना रूपथी मोहित थई कनकमाला तेनी पासे प्रेम-प्रार्थना करे छे. मातृरूप गणी प्रद्युम्न तेने टाळे छे. कोपायमान कनकमाला प्रद्युम्ननो वध कराववा तलर थाय छे. ४ समराइच्च कहा पछीना काळमां पण आ कथानक अनेक कथाओमां दृष्टिगोचर थाय छे. नवकार मंत्रना जापनो प्रभाव दर्शात्रतो सुदर्शन श्रेष्ठिनी प्रसिद्ध जैन कथामां पण राणीनी नायक प्रति आसक्ति अने तेना तरफथी सहकार न मळतां बदलो लेवा माटे तेना पर बलात्कार करवानो आक्षेप मूकी राजा द्वारा वधनी सजा कराववी ए कथानक पण आपणी कथाना कथानकने मळतु छे. हरिषेणना संस्कृत बृहत्कथाकोष आवे छे." आज कथा लईने दिगंबर कवि नयनंदिए अपभ्रंशमां सुदंसण - चरिउ (वि. सं. १९०० ) (वि०सं० ९८९) मां आ कथा १. जातक - (हिन्दी भाषान्तर) भदन्त आनन्द कोसल्यायन, खण्ड- २, जातक - १६७, पृ०२२७ २. जातक खण्ड -२ पृ० ६५ ( जातक - १२० ) ३. जातक खण्ड - ४ पृ० ३८६ ( जातक - ४७२ ) ४. वसुदेवहिंडी - भाषान्तर पृ० १११. ५. बृहत्कथाकोष - हरिषेण संपा०डो, आ. ने, उपाध्ये Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001874
Book TitleVilasvaikaha
Original Sutra AuthorSadharan
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1977
Total Pages310
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size17 MB
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