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________________ १५६ ५ सारणकविरा [8] तो चउरंग-सेन्न- संजुत्तउ आवासिउ विसालए । तहि वेयड्ढ - सिहरि रमणीय -महा-तरु-वर - सुरालए ॥ किउ दिवस - कज्जु वसिऊण तम्मि अह चलिउ पुणो वि विहायस्मि । किन्नर - पुरे पाविउ सिग्धवेउ ५ वद्धाविउ तक्खणे नयर-नाहु उवयारु घरागमु किउ असेसु आवास निरूविय अइ- पहाण सयणीयभंगण जवस खाण इय जाव पहुत्तरं लग्गु सारु १० तूरई पहयाई समोक्कलाई पुरउ for धाविउ अनिलवेउ । सम्मुह विणिग्ग वज्जबाहु | सुमहत्त-विभूइए पुर-पवेसु । संपाडिय भोयण - व्हाण-पाण । तंबोल विलेवण कुसुम ताण । वर - रिद्धिहिं चलिउ सर्णकुमारु । पुरउ पति बंदिण - कुलाई । महिलाणु अग्गर ठियउ तांव । जुय-खंध-मुसल- मुह-ताडणाई | आरत्तिय लोणह भामणाई | दाई दिन्नई हिय- इच्छियई । संपुडमह दलंतउ । राउल दुवारि संपत्तु जांव किय उयारणई निउँछणाई 'दहि-अक्खय- चंदन-वंदणाई आयर सव्व तहिं किय १५ चलणेहिं जल - भरिय - सुसरावहं लग्गउ अनिलवेय-करि बहुयावास दुवारे पत्तउ ॥ ४ ॥ अह तत्थ महिलाउ चित्तई पढावंति अंगुट्ठे लग्गति अह देवितं हि ता तत्थ मज्झम्मि सा दिट्ठ तें बाल उद्धत थणहार संपुण्ण-ससि वयण परिपक्क बिंबो [4] Jain Education International रूंधति बहुलाउ । अचलेहिं खंचति । निय दाणु मग्गति । भवर्णाम्म पविठु | माईण अगम्मि नव-लिणि सुकुमाल | उल्लसिय- सिय-हार । संनिहिय विय गयण । कंकणेहिं सुपओ | [१०.४ [४] २. पु० सिरालए ६. पु० सुमहंत १३. पु० - वंदनई.... भामणई १५ ला० दलंतभो लग्गओ ... पत्तओ । पु० अनिलवेय-करो १६. ला० [५] १. ला० महिलाओ ... बहुलाओ २. ला० पढाविंति पु० अंचलिहिं ५. पु० तो तत्थ ८. ला० संनिहिय ठिय For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001874
Book TitleVilasvaikaha
Original Sutra AuthorSadharan
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1977
Total Pages310
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size17 MB
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