SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 232
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०.३] विलासवईकहा सम्मावि गमणह दिवसु पुठ्ठ सम्मं च निरूववि तेण सिदछु । तिहि कल्लि दुइय पहु सोमवारु नक्खन्तु पुस्मु सिवु जोगसारु । वालवु वि करणु कक्कडई चंदु छ?उ करेइ तुम्हाहिणंदु । मिहुणोदउ बुह घरु चंद-होर देक्काणु बुह दुह-चिंत-चोर । १० नव-बारस-तीसंसेहिं सुहेहिं . सुतिहि ठिएहिं गुरु-रवि-बुहेहिं । दुइयउ ससि धरणी-तणउ छ? तिजउ सणि आयहं भिगु निविदछु । उसा-जोगम्मि य सुहु मुहुन्तु ता देव तत्थ पत्थाणु जुत्तु । इय दिवसु मुहुन्तु वि उवइसिउ सम्माणेवि पेसिउ जोइसिउ । पडिहारह तें जाणावियउ विज्जाहर-लोउ भणावियउ ॥ २ ॥ [३] तो सज्जिय-विमाण-चर-जाणेहिं हय-गय-जोह-जुत्तउ । तक्खणि सपरिवारु खयराहिवु वर-रिद्धिहिं पहुत्तउ ।। अरुणुग्गमे पहय पयाण-ढक्क अप्फालिय झल्लरि मुरव चक्क । आऊरिय मंगल जमल संख आवज्ज पवज्जिय पुणु असंख। ५ मणहर-झय-मालोयालियाई रमणीय-विमाणइं चालियाई । झुल्लत-चमरचय-संख सोह मयगल चलंति किय सेन्न-खोह । मुह-बद्ध-फेण सुचवल तुरंग उच्छलिय नाइ जल-निहि-तरंग । निम्मज्जिय-आउह विविह-वेस चल्लिय विज्जाहर भड असेस । खयराहिवु पुणु निय-मंदिरम्मि मोत्तिय-चउक्के आऊरियम्मि । १० मणहर-सीहासणि समुवविठ्ठ तमु पुण्ण-कलसु अग्गइ निविट्ठ । वंदिउ चंदणु किय अंगलाई दहि-अक्खय-संख-दुव्वंकुराई । वसुभूइ-विलासबई-समेउ - आरूढु विमाणे विसाल-तेउ । विणयंधर-पसुहेहिं अणुसरिउ रहनेउर-नयरह नीसरिउ । पण्णरस-जोयणसिउ पवरु पत्तउ वेयड्ढ-महासिहरु ॥ ३॥ [२] ६. ला० --सम्माणवि १०. ला• मुत्तिहिं ठिएहिं १४. ला० तिं जाणावियउ [३] १. पु०-जाणेहि, ला-जुत्तओ २. ला० पहुत्तओ १३. पु० पमुहहिं १४. पु० विय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001874
Book TitleVilasvaikaha
Original Sutra AuthorSadharan
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1977
Total Pages310
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy