________________
१४२
५ तो जलणि मरंतह मह दयाए जिह भो विणयंधर मा मरेहि वच्चाहि पुत तुहुं मलय-कूलि जल - निहि तडम्मि तहिं गुरु-पहारु एरण जियावेज्ज खणेण १० तें देवय- वयणे एत्थ आउ
तावसाण वेसं धरंतउ तुज्झ चैव हउं दंसणट्ठिउ
साहारणकविरइया
अज्जं पुण कुस समिहा-निमित्त जा तत्थ रुवंति य अ - विसिह हा ताय सुवच्छल नेह-सार हा माए सहिए तुझ धूय ५ हा वीर सुभाउय अनिलवेय
हा मुणिवर - साहिय मज्झ नाह किर तुहुं विज्जाहर-राय-राउ हा देवो पियरहो करहु रक्ख हउँ नियय-कुबह हरिय जेण १० इय जाव कुणइ बहुविह पलाव
केण हरिय तुहुं मुद्धे पुच्छिया कहिउ तीए खेयरहं कन्नया
Jain Education International
[१४]
[९.
१५
एरिस अक्खिउ वण- देवयाए । मह वयणु ताव एत्तिउ करेहि । गिure संजीवणि दिव्य-मूलि । निवडिस्सर विज्जाहर - कुमारु । तुह कज्ज-सिद्धि सो करइ जेण सेवामि जलहि आसा - सहाउ ।
1
कंद-मूल-फल- भुंजयंतउ । एत्तियाई दिवसाई संठिउ || १३||
इह मलय-कूल-काणणे पहुत्तु । मई मित्त मनोहर कन्न दिट्ठ | मह दंसणु देहि न एक वार । कि जीवs एत्तिय दूरे हूय । तु भणि कत्थ आणिय सुतेय । तुह घरिणि कीस निज्जइ अणाह । तं मुणिहि वयणु किं अलिउ जाउ । हा हा वणदेव किं उवेक्ख । सो यह जाउ खलयणु खणेण । धीरविय बाल मई मित्त ताव |
कासि सि कर्हि देसि अच्छिया । सिरि- सणकुमारस्स दिन्नया || १४ |
[१५] मई पुच्छिय कवणु सणकुमारु अहिणव- विज्जाहर राय-राउ तारण सयंवर तस्स जांव
[१३] ६. ला० ता ए एत्तिउ १० ला० तं देवय-वयणि
[१४] १. ला० कुले - २. पु० रुयंति ... कन्नि ३. पु० देह ४. पु० भाइ ५. पु० सतेय ८. ला० करहि ... वणदेषहो ९. ला० खयहो ११. पु० अस्थिया ।
[१५] १. ला०- गोयरह ३. ला० जाव... ताव ।
For Private & Personal Use Only
सा भइ भूमि - गोयरहं सारु । निज्जिवि अणंगरइ सामि जाउ । उं चिंतिय अह अवहरिय तांव ।
www.jainelibrary.org