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साहारणकाविरइया
[८. २८
नाणाविह-नेवत्थ-मणोहर __ कुंकुम-रस-फसलिय-वच्छत्थल ५ के वि कुसुम करयलेहि करेविणु
के वि कुंकुम-मयमय-कपूर के वि विसिट्ठ-इट-तंबोलई के वि कडय-कुंडल-केउरई
मणि-माणिक्कई रयण-विसेसई १० कुमरेण वि य दाण-सम्माणेहि
मणि-कुंडल-किरीड-मुह-सेहर । वर-तंबोल-भरिय-गंडस्थल । वत्थ पसत्थ हत्थि गिण्हेविणु । अन्ने विमल-मुत्ताहल-हारई । अन्ने विसाल-थाल-कच्चोलइं । अन्ने तुरय-गय वाहण-सारई । कय-पणाम उवणेति असेसई । अहिणं दिय वयणेहिं पहाणेहिं ।
तो सव्वेहिं लोएहिं तहिं सपमोएहिं सरिसु पविटु कुमारु किह । किय-जय-जय-सद्देहिं सुरवरिंदेहिं अमरावइहिं सुरिंदु जिह ॥२७॥
[२८] आवंतु मुणेवि नव-सामिसालु भूसिउ रहनेउरचक्कवालु । तहिं ठाणे ठाणे किय तोरणाई सुविचित्तई जण-मण चोरणाई । वर-वत्थेहि जण-मण-जणिय-मोह नाणाविह विरइय हट्ट-सोह । महरिह-मणि-रयणेहि मंडियाओ धवल-हरेहिं उब्भिय गुड्डियाओ। मंदिरह दुवारेहिं निम्मियाई सचउक्कई गोमय मंडलाइं । आसत्थरुय-तरु-पल्लवेहि
किय वंदण-मालउ गोउरेहिं । वर-वारि-भरिय पउमप्पिहाण तह पुण्ण-कलस ठाविय पहाण । जं नयरि पविट्ठउ खयर-राउ पुर-नारिहि हल्लप्फलउ जाउ ।
चुंपालय-जाल-गवक्खएसु रत्था-मुह-घर-हम्मिय तलेसु । १० दीति मुहाइं निरंतराई नावइ थल कमलई वियसियाइं ।
विज्जाहर-सुंदरि खुहिय-पुरंदरि कुमर-रूव-दसण-मणिय ।
निन्भर-उक्कंठिय निच्चल संठिय किय-तिरिच्छ-थिर लोयणिय ॥२८॥ [२५] ३. पु० नेवच्छ १०. पु० पहाणिहिं । १२. ला० सद्दहिं, पु० सहें [२०] १. पु० आवंतु सुणिवि २. पु० तेहिं ठाणे...३. लाल-जणिय-खोह ४. पु०
मंडियाठ... गुड्डियाउ । ६. ला• बंदरवालउ गोयरेहिं ७. ला पउमप्पहाण तहिं पुन्नकलस ९. पु० चौपालय...रच्छामुह
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