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साहारणकइविरइया
[५.१३ निय-घरे जिह हउं वणवासे थिया तुह पासि वक्ख न का वि किया।
मई दुक्खु न जाणिउ कि पि वणी वीसारीय भयवइ तई जणणी । ५ तुह पाय-पसाइं पाण-पिओ भयवइ दुल्लहु वल्लह मिलिओ । तइं पाण वि दिन्न मरंतियहे आसासिय वयणि कुलवइहे । एत्तिउ पर दुक्खइ मह हियए जं कुलवइ-पाय न दिट्ठ मए । केत्तिय गुण सुमरमि माए तुहं तई सहुं: पुणु दसणु होइ कहं ।
तो भयवइ भणइ उबाहुलिया हउं निच्चु वि तुह मणि संन्निहिया । १० ता तुहं सुमरेज्जसि पुत्ति ममं अणुयत्तहि तह निय-कंतमिमं ।
उत्तम-धम्म-पर गुरुयण-सम्माणिय । पुत्ति विलासवइ तुहुं होज्ज सयाणिय ॥१२॥
[१३] तो सा तहेव पाएहिं पडिया रोवंति य तावसि वाहुडिया । कुमरो वि विलासवई-सहिओ निज्जामय-सरिसु समारूहिओ । अह ते गालवाहिय-चडिया तहिं जाणवत्ते वेगेण गया ।
तो पवहणि तत्थ चडावियउ सत्थाह-सुए बहुमाणियउ । ५ गय दिवस के वि अह अन्न-दिणे सर-वेगें वच्चंतए वहणे ।
जामिणिहि सेसु वट्टइ पहरो पासवण-कज्जे उट्ठइ कुमरो । अणुमग्गे तस्स वि वेग-जुओ सो साणुदेव सत्थाह-सुश्री । तिं जंपिउ ठायसु ताव तुमं कुमरेण वि तं पडिवन्नु इमं ।
तो जाणवत्त-निज्जूह-ठिओ सत्थाह-सुएण य पेल्लियो । १० पडियउ अणेय-जलयर-पबले संसार-विसालए जलहि-जले ।
तो पुव्व-भिन्न-बोहित्थ-मयं कुमरेण झस्ति पाविउ फलयं ।
जीविय-सेसेण य दुक्ख-निही पंचहि दिणेहिं लंघिउ जलही । [१२] ३. ला० पा न का वि अवत्थ किया ४. ला० वणि ५. पु० पाय पसाएं,
पु० पाण-पिउ... मिलिउ ८. पु० माई तुहं....पुण ९. ला० मणे १२. पु० पुत्त [१३] १. पु० पायेहि २. पु० -स'हउ... समारूहिउ ३. ला० ते ५. लो. सरवेगि
वच्चंतइ ६. पु. सेस वड्ढइ ...उदिठउ ८. ला० वि तो ९. ला० जाणवस्ति १०. ला० संसार विलासइ ११. ला० बोहित्थगयं...पाविय फलयं
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