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५.१४ ]
विलासवई कहा
लग्गउ मलय- तडे जलहिहि उत्तिणउ | चिas तो कुमरु निय-मणे अ विण्णउ || १३||
अह पुण सत्थाह- सुयस्स कहं
ता अन्तु न कारणु संभवइ ता मूढचित्तु सो वाणियउ साम्म-परायण एग - रइ
५ तइयहं पडण परिक्खियया ता ती विणा किं निष्फलेहिं ता हउं उल्लंबेवि तरु- सिहरे इय मरण - विणिच्छउ तेण किउ दिट्ठो य नाइ-दूरम्मि गरु
१० चितइ इह पायवे तुंगयरे पिययम - विओय-संताविययं
[१४]
ताब नाइदूरम्मि दिट्ठयं विवि-तीर-तरुसंड- मंडियं धवल - विमल सीयल-सुपाणियं विसमाण - सयवत्त वयणयं
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वावायण- कारणु कवणु महं । ts पर अrिees विलासवर । मह दइया - हियरं न जाणियउं । free मह विओ पाणे घरइ ।
मरणावेसमणु बहुविहु चिंतंत । ara - तरुस्स तले सो जाव पहुत्तउ || १४ ||
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हउं जाव न दिट्ठउ मुच्छ गया । मह अज्ज व पाणेहि धारिएहिं । नामि पाण बहु- दुक्ख भरे । दिसि-मंडलु तो निज्झाइयउ । थल- सिहरि पठिउ नीव तरु |
उल्लंबिऊण साहा - सिहरे | निव्वावमि हउं अप्पण हिययं ।
माणसं व धरणी - निविट्ठयं । कुरर - कुंच - कलहंस- वड्डियं । सिद्ध- जक्ख- सुर- मिहुण-माणियं । नील-वारिरुह-लोल- नयणयं ।
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[१३] १४. ला० मणे सुविसन्नउ [१४] २. ला० तो... ३. ला० याणियउं ४. पु० कह मह विओवि ५ ला० तइयहुँ ६. पु० धारियेहिं ७. • पु० भोलंबेवि... दुक्ख - घरे ९. पु० गुरु थलसिहर-परिट्रिट, ला० निंब-तरु १० पु० पायवि १३ ला० निंब[१५] २. पु० कुरुर - कुंचला० कलहंस - चड्डियं ४. ला० नीरवारिरुह
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