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________________ अह तं जाणवत्तु आऊरिउ अइमहंत नंगर उच्चल्लिय ५ दिसिहिं गमणु निज्जामई सज्जिउ बहु- पयार जलहिहि बलि घल्लिय तक्खणि कण्णधारु उवउत्तउ अह पवहणु मग्गउि वच्चइ कत्थ विमयर - घाय - अप्फालिउ १० कत्थवि उच्छलिउ उल्लोलेहिं कत्थ वि जल-करि-दंत-विकत्तिउ कत्थवि सुमूरंतु पवालई कत्थ विविसहर विस - उग्गारेहिं इय तं तुरिय-वेउ तर्हि धाव १५ संधि - ३ [१] वसुभूइ- समणियम्मि जाणवत्त - संठिय कुमारि । आरूढ जणम्मि कय- विविह- मंगलोवयारि ॥ १ ॥ इय पवहणे वतयम्मि पुच्छिउ सो वसुभूरणा । को एसो वयँस मंतो नीसरिउ जेण हेउणा ॥ १॥ [ २ ] तो नीसेसु विवइयरु अक्खिउ कीस नरिंदह फुड न साहिउ तई निच्छउ कुल लंछणु आणिउ पत्तु न सोक्खु न दोसह छायणु [१] ३० पु० आऊरियउ....... पूरियउ ४ धवलु विसाल सिवडु पूरिउ । ठाणे ठाण संटिय आवेल्लिय । सुगहिरु मंगल - तूरु पवज्जिउ । वेजयंति धयवड मोक्कल्लिय । तो अणुकूल पव पवत्तर | कत्थ वि तरल-तरंगिहिं नच्चइ | कत्थ वि मच्छ- पुच्छ उच्छालिउ । हल्लावि महल्ल- कल्लो लेहिं । फुडिय - सिप्पि मुत्ताहल - चित्तिउ । कहिं विदलंतु लुलिय-संख - उलई । ओसरि सुरु झंकारेहिं । खर- धणुक्क मुक्कु सरु नावइ । Jain Education International ला० उच्चल्लिया सुगुहिरू ६. ला० विज्जयंति - ७. ला० तक्खणे ८ ला १०. पु० उल्लोलिहिं....कल्लोलिहि. १२. पु० मुसुमूलंतु ओसारि १६. पु० को एरिसु वयंस [२] १. ला० नीसेसो ४० ला० दोसहं च्छायणु... हयवं न हिक्स.... जंप तो वसुभूइ अवक्खिउ । कवणु कज्जु सायरु अवगाहिउ । कज्जु न तुम्हहं हुयउ न भिक्ख न भायणु । किंचि परियाणिउ । आवल्लिया ५. पु० तरंगेहिं ९. पु० कत्थ य ला० विसहरु... १३ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001874
Book TitleVilasvaikaha
Original Sutra AuthorSadharan
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1977
Total Pages310
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size17 MB
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