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[२. १५
साहारणकविराया ता एहे छिक्कहे एहु विवाउ मई सयलु निमित्त-बलेण नाउ । निदोस-वत्थु-विसओववन्नु राएण विरुद्धाएमु दिन्नु । सगुणस्स उवरि कस्स वि जणस्स न य सो पडिहासइ तुह मणस्स ।
ता मा संतप्पहि किंपि तुहुं जं चिंतहि तं होइसइ । १५ परमेत्थु पयहि सिग्धयरु अन्नह असुहु पराविसइ ॥१४॥
मई चिंतिउ बहु-पच्चयहं गेहु नेमित्तिउ सिद्धाएसु एहु । ता किं हउँ होसइ इह अदोसु विन्नवणागोयरु देव-रोमु । हा किह करेमि को इह उवाउ भावंतह गुरु-उव्वेउ जाउ ।
हा विसमु कज्जु एरिसु मणम्मि चिंतंतु पत्तउ निय-घरम्मि । ५ जणणीए भणिउं किं पुत्त अज्जु उविग्गउ दीसहि कहहि कज्जु । मई चिंतिउ जणणि परिच्चएवि वीसास-थाम न य होति के वि । तो अक्खिउ वइयरु सयलु तीए अह जंपिउ इय दुक्खिय-मईए । पुत्तय मा काहिसि एउ अजुत्तु सो अम्हहं कुल-उवयारि-पुत्तु ।
एउ पुव्व-वित्तु तो कहिउ मज्झु जं सयलु वि अक्खिउ कुमर तुज्झु । १० तो हउं पहुत्तु तुह सन्निहाणु संपइ पुणु कुमरो च्चिय पमाणु ।
तो कुमरु विसण्णउ चिंतवइ पेच्छह दु-महेलियहं । अइ-दारुणु किह माया-चरिउ पाविट्ठहं कुल-मइलिअहं ॥१५॥
[१६] अहव वीसासु महिलाण को वच्चए जलिय-जलणस्स मज्झम्मि को नच्चए। महिलनामेण विस-पूरिया सप्पिणी कुडिल-चिन्ता य कस्सावि न य अप्पणी। रमणि रमणीय बाहिम्मि दीसंतिया मज्झि विस-सरिस गुंजा जहा रत्तिया।
महिल पर-बंधु-हिययाण निन्भेयणी सरिय जिह नीय-गामिणि कुलुच्छेयणी। ५ महिल बहु-कूड-कवडाण मंजूसिया महिल सव्वेसु सत्थेसु अइ-दुसिया ।
महिल जिय-लोइ नीसेस-दोसग्गला महिल अपवग्ग-गइ-सग्ग-मग्गग्गला । [१५) ११. ला० एहि, पु० सयल १५. ला• परमेत्थ.......असुह [१५] २. ला० ता किंह हउ ३. ला० किं करेमि ६. ला० विसासथामि न हुंत
९. पु० मज्झ......तुज्झ [१६] १ पु० जलणजलियस्स ३. पु० रमणि रमणम्मि
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