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प्रस्तावः]
यशोभद्रनृपचरितम् । नमिऊण नेमिनाहं पमन्जिङ निवसिऊण तस्स पुरो। पज्जुन्नसूरि-पमुहं निय-परिवारं भणइ एवं ॥ राग-दोस-विमुक्को चिर-सेविय-नाण-दसण-चरित्तो । निच्छय-नएण तित्थं अप्पचिय वुच्चए जइ वि ॥ तह वि हु ववहार-नयेण जो पएसो पणट्ट-पावाण । तित्थंकराण पएहिं फरिसिओ सो परं तित्थं ॥ इह दिक्खा-पडिवत्ती नाणुप्पत्ती विमुत्ति-संपत्ती। नेमिस्स जेण जाया तेणेसो तित्थमुज्झितो ॥ अन्नत्थ वि मेल्लिस्सं निस्संदेहं दुहावहं देहं । तत्तो वरं पसत्थे तित्थे इत्थे वि मेल्लेमि ॥ इय भणियं पञ्चक्खइ जिण-पच्चक्खं चउन्विहाहारं । वारंतस्स वि पज्जुन्नसूरिणो सपरिवारस्स ॥ पउमासणो-वविट्ठो परिचत्त-समत्त-गत्त-परिकम्मो। सिरि-नेमिनाह-पडिमा-मुहपंकय-निहिय-नयण-जुओ॥ सव्वत्थ वि राग-दोस-वजिओ परम-तत्त-लीण-मणो । मुणिपुंगव-मुणियागम-सवण-समुल्लसिय-संवेगो॥ पुव्व-महारिसि-मग्गो दूसम-समये वि सेविओ सम्म । तेरस-दिणा-वसाणे पत्तो तियसालयं सूरी॥ तत्तो पज्जुन्नगुरू वियरंतो सयल-संघ-परिओसं । सुत्त-त्थ-पयडण-परो परोवयारं चिरं कुणइ ॥ सत्त-सुहो सुइ-मुहओ वाइजंतो समग्ग-लोएण । ठाणय-पगरण-रूवो जस्सन्ज वि फुरइ जस-पडहो । तस्स गुणसेणसूरि सीसो वर-संजमुज्जओ जाओ। जस्स गुणचिय पाणा अंतररिउ-वग्ग निग्गहणे ॥ सीसो खम-ग्ग-लग्गो तस्सासी देवचंदसूरि त्ति । चंदेण व दिय-राएण जेण आणंदियं भुवणं ॥ कय-सुकय-कुमुय-बोहा चउर-बठर-प्पमोय-संजणणी। संतिजिण-चरित्त-कहा जुण्ह व्व वियंभिआ जत्तो ॥ जे ठाणएसु ठविया पज्जुन्न-मुणीसरेण धम्म-दुमा। काउण ताण विवई ते जेण लहाविआ वुढेिं ॥
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