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________________ कुमारपालप्रतिबोधे [ प्रथमः क्ख-चित्त्रेण तेण पणमिऊण विन्नत्तं - खमसु मे सव्वावराहं, तेणावराहेण रुट्ठो जिअसत्तू न देह उज्जेणीए मे पवेसं, तुम्ह वयणेण दाही । रन्ना भणियं खमियं चेव मए, जस्स तुह देवीए कओ पसाओ । तओ संमाणिऊण दूय- सहिओ सो पेसिओ उज्जेणिं । १६ Jain Education International खमिउं अधराहं मूलदेव वयणेहिं तस्स जियसत्तू | देह पुरी पवेसं तम्मूलो जेण से कोवो ॥ अह मूलदेव - रज्जं सोउं सो सद्धडो तहिं पत्तो । रन्ना दिनो सो चिय अदि- सेवाए से गामो ॥ अह कप्पडिओ केण वि भणिओ जह जारिसो तए दिट्ठो । सुविणो तारिसओ विय दिट्ठो केणावि अन्नेण ॥ नवरं आएस-फलेणं सो सउणो नराहिवो जाओ । पुन्न- रहिओ तुमं पुण भमडसि भिक्खं तह चैव ॥ कपडिओ सुविणत्थी पुण पुण भोत्तूण गोरसं सुत्तो । अवि सो लहिज्ज सुविणं तहवि नरतं पुणवि दुलहं || यशोभद्रनृपवैराग्योत्पत्तिः । इय धम्म-देखणा - मय-रसेण सेत्तंमि भूमिणाहस्स । हिययम्म समुल्लसिओ जिणिंद-धम्माणुराय-दुमो ॥ भणियं निवेश भयवं ! कहियमिणं उभय-भव-हियं तुमए । अन्नो पिओ वि सव्वो जंपइ इहभव- हियं चेव ॥ ता समयम्मि विमुत्तुं तणं व रज्जं विवेय- गिरि-वजं । पडिवज्जिऊण धम्मं सहलं काहं मणुय - जम्मं ॥ ता वंदिउँ मुणिदं निय-मंदिरमागओ महीनाहो । धम्मोवएस-विसरं सुमरंतो गमइ दियहाई ॥ अह पावसो पयट्टो संपाडिय - पहिय- हियय-संघहो । समरह- मारो कयंब - संदट्ठ- अलिवो ॥ जत्थ विरहग्ग- डज्झत-विरहिणी- हियय-लद्ध-पसरेण । धूम - भरेण घण-मंडलेण मलिणी कयं गगणं ॥ नवमेह - पिययमेणं समप्पियं जत्थ तडि-लया-लोयं । कणयमयाभरणं पिव पयडंति दिसा- पुरंधीओ ॥ नव- पाउस - नरवइ - रज्ज - घोसणा - डिंडिमो व्व सव्वत्थ । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001873
Book TitleKumarpal Pratibodh
Original Sutra AuthorSomprabhacharya
AuthorJinvijay
PublisherCentral Library
Publication Year1920
Total Pages564
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size11 MB
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