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कुमारपालप्रतिबोधे
[प्रथमः सहला मणोरह-दुमा धम्मिय-लोयस्स जायंति ॥ ३८॥ जत्थ सहति सुवन्ना कंचण-कलसा य सुर-घर-सिरेसु । गयण-ब्भम-खिन्न-निसण्ण-खयर-तरुणीण पीण-थणा ॥ ३९ ॥ अभंलिह-सुर-मंदिर-सिर-विलसिर-कणय-केयण-भुएहिं । नच्चइ व जत्थ लच्छी सुट्ठाण-निवेस-हरिस-वसा ॥ ४० ॥ जत्थ मणि-भवण-भित्तीसु पेच्छिउं अत्तणो वि पडिबिंबं । पडिजुवइ-संकिरीओ कुप्पंति पिएसु मुद्धाओ ॥ ४१ ॥ जम्मि महा-पुरिसाणं धण-दाणं निरुवमं निएऊण । अजहत्य-नामओ लजिओ व्व दूरं गओ धणओ ॥ ४२ ॥ जस्सि समच्छरमणा जलासया न उण धम्मिय-समूहा । कमलोवकारया सूर-रस्सिणो न उण सप्पुरिसा ॥४३॥ जत्थ रमणीण रूवं रमणिजं पेच्छिऊण अमरीओ। लजंतीओ चिंताइ कह वि निदं न पावंति ॥४४॥
नरेन्द्रवंशवर्णनम् तत्थासि मूलराओ राया चोलुक्क-कुल-नह-मयंको। जणिया जणाणुकूला मूलेण व जेण नीइ-लया ॥४५॥ जस-पुंडरीय-मण्डल-मंडिय-बंभंड-मंडवो तत्तो। खंडिय-विपक्ख-मुंडो चंडो चामुंडराय-निवो ॥ ४६॥ तत्तो वल्लहराओ राया रइवल्लहो व्व रमणिजो। जेण तुरएहिँ जगझंपणु त्ति कित्ती जए पत्ता ॥४७॥ तत्तो दुल्लहराओ राया समरंगणंमि जस्स करे। करवालो छज्जइ जय-सिरीइ मय-णाहि-तिलओ व्व ॥४८॥ तत्तो भीमनरिंदो भीमो व्व पयंड-बाहु-बल-भीमो। अरि-चकं अकमिउं पायडिओ जेण पंडु-जसो ॥ ४९ ॥ तो कन्नएव-निवई जस्सासि-जलंमि विलसिया सुइरं । जस-रायहंस-सहिया जय-लच्छी रायहंसी व्व ॥५०॥ तयणु जयसिंहदेवो पयंड-भुय-दंड-मंडवे जस्स । कित्ति-पयाव-मिसेणं चिर-कालं कीलियं मिहुणं ॥५१॥ तम्मि गए सुर-लोयं काउं व सुरेसरेण सह मित्तिं ।
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