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प्रस्ताव: ]
अणहिल्लपाटकनगर नरेन्द्रवंशवर्णनम्
सद्द अदिट्ठे विहु तित्थंकर - गणहर-प्पमुहे ॥ २४ ॥ जिधम्मे पडिवत्तिं कुमरनरिंदस्स लोइडं लोओ । पत्तियइ व्व चिरंतण-भूमिवईणं पि अविअप्पं ॥ २५ ॥ सिव-पह - कहगेऽवि सयं वीरजिणे सेणिएण नरवइणा । जीव-दयं कारविडं न सक्किओ कालसोयरिओ ।। २६ ।। दूसम - समऽवि हु हेमसूरिणो निसुणिऊण वयणाई । सव्व जणो जीव दयं कराविओ कुमरवालेण ॥ २७ ॥ ततो दुवेऽवि एए इमंमि समए असंभव - चरित्ता । कय-कयजुया - वयारा जिणधम्म- पभावण - पहाणा ॥ २८ ॥ दुह वि इमाण चरियं भणिजमाणं मए निसामेह | वित्थरह जेण सुक थिरत्तणं होइ जिणधम्मे ॥ २९ ॥ जइ वि चरियं इमाणं मणोहरं अस्थि बहुयमन्नं पि । तह वि जिणधम्म- पडिबोह-बंधुरं किं पि जंपेमि ॥ ३० ॥ बहु-भक्ख - जुयाइ वि रसवईऍ मज्झाओ किंचि भुंजतो । निय इच्छा -अणुरूवं पुरिसो किं होइ वयणिजो ॥ ३१ ॥
अहिलपाटकपुरवर्णनम्
अथ मही- महिलाए मुहं महंतं मयंक - पडिबिम्बं । जंबुद्दीव-छलेणं नहलच्छि दहुमुन्नमियं ॥ ३२ ॥ तुंगो नासा- वंसो व्व सोहए तियस-पव्वओ जत्थ । सीया- सीओयाओ दीहा दिट्ठीऑ व सहति ॥ ३३ ॥ तत्थारोविय-गुण-धणु-निभं नलाडं व भारहं अत्थि । जत्थ विराय बिउलो वेयड्डो रयय- पट्टो व्व ॥ ३४ ॥ जं गंग- सिंधु- सरिया - मुत्तिय सरियाहि संगयं सहइ । तीर-वण-पंति कुंतल - कलाव- रेहंत - पेरंतं ॥ ३५ ॥ तत्थस्थि तिलय-तुलं अणहिलवाडय-पुरं घण-सुवन्नं । पेरंत- मुत्तियावलि - समो सहइ जत्थ सिय-सालो ॥ ३६ ॥ गरुओ गुज्जर-देसो नगरागर - गाम- गोउलाइन्नो । सुर-लोय-रिद्धि-मय-विजय - पंडिओ मंडिओ जेण ॥ ३७ ॥ जंमि निरंतर - सुर- भवण- पडिम- पहवणंबु - पूर - सित्त व्व ।
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