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प्रस्तावः ]
मायायां नागिनी-कथा ।
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राय-सुओ सव्वुत्तम-रूवो नव-जुव्वणो दिट्ठो ॥ पच्चक्ख-काम-एव-ब्भमेण मुक्काउ तम्मि दिट्टीओ। , नीलुप्पल-मालाओ तीए अह बंदिणा पढियं ॥ जयइ विजय-लच्छी-संगओ बंग-देसा
हिवइ-भुवणपालस्संगओ कामपालो । अइसय-रमणिजं पेक्खिउं जस्स एवं
धुवममर-वहूओ मच्च-लोयं महंति ॥ एयं सेट्टि-सुयाए सुणिऊण वियाणियं जहा एसो। बंगाहिव-राय-सुओ नामेणं कामपालो ति॥ राय-सुएण वि दिट्ठा सिटि-सुया साणुराय-दिट्ठीए । सो तं चिय चिंतंतो विजं व गओ नियावासं ॥ काम-जरेण गहिओ चिहइ कत्थ वि रई अलभमाणो । जाया दढमस्सत्था सेटि-सुया मयण-सर-विहरा॥ सेट्टी तओ विसन्नो कुडिलं पव्वाइगं गिहे पत्तं । दढूण भणइ भद्दे ! मह धूया बाढमस्सत्था ॥ तं सज्जी कुणसु तुम सा जंपइ सेट्टि ! ताव पेच्छामि । पत्ता तीए पासं मुणिउं से वम्मह-वियारं ॥ एगते भणइ मए तुह अस्सत्थत्त-कारणं मुणियं । ता साहसु सम्भावं तं संपाडेमि जेणाऽहं ॥ अन्ना न गइ त्ति कहेइ तीइ सा राय-पुत्त-वुत्तंतं । सा कवड-निही जंपइ वच्चसु आइच्च-वारम्मि ॥ आइच्च-हरे आइच्च-अञ्चण-मिसेण कारविस्सामि । तहसणं तहिं तुह इय भणियं उठ्ठिया एसा ॥ सेहिस्स कहइ दोसो नियत्तिओ तुह सुयाए किंचि मए । रवि-वारे रवि-पूयाइ सव्वहा पुण नियत्तिहिइ ॥ तो राय-सुयावासं पत्ता वुत्ता य तस्स भिच्चेहिं । भयवइ ! किं चि वियाणसि सा भणइ मुणामि सव्वं पि ॥ ते बिंति अम्ह सामी दढमसमत्थो करेसु तं सज्जं । काहामि त्ति भणंती सा नीया राय-सुय-पासं ॥ सो रहसि तीइ भणिओ सेहि-सुया-दंसण-च्छलं लहिउँ ।
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