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कुमारपालप्रतिबोघे
[पञ्चमः अह कित्तिए वि काले गयम्मि अथिरतणेण जीयस्स। परलोयं संपत्तो जणओ जणणी य नागस्स ॥ सासू-सुसरे दिवं गएसु गणिया-गिह-ट्टिए नागे । पर-पुरिसेहि सह धणं निरग्गला नागिणी खाइ ॥ चोरेहि हरियमेयं ति कुणइ कवडुत्तराई नागस्स । सोऊण सरल-सहावो तह त्ति पडिवजए सव्वं ॥ अह भणइ नागिणी तं सु चिय सलहिज्जए जए पुरिसो। निय-भुय-विढत्त-वित्तो कित्तिं धम्मं च जो कुणइ॥ देसंतर-गमणेणं विणा न पुक्खल-धणागमो होइ। ता जुब्वणम्मि जुज्जइ तुह पिय ! देसंतरं गंतुं ॥ तं हिय-वयणं नागो मन्नतो भणइ भणसि सुट्ट पिए !। तं पुण मयणलयाए अक्खइ सा जंपए नागं ॥ पिययम ! अन्नासत्ता तुह भज्जा ते उवइसइ एवं । नहि देसंतर-गमणं पियस्स महिला महइ कहवि ॥ नागो भणइ मइच्चिय अणुरत्ता नागिणी सई पवरा । पर-पुरिसे रमण-मणं वि कुणइ न कया विसीय व्व ।। गणिया जंपइ पिययम ! न मुणसि इत्थीण कवड-चरियाई ।
जाउ कुणंति अकजं तहा परं पत्तियावंति ॥ किं चसिटि-सुयाए कवडं इम्हि चिय जं कयं इहेव पुरे । तं सुणसु भणइ नागो कहसु पिए ! तं कहइ गणिया ॥ इत्थेव पुरे सिट्टी मणोरहो नाम अत्थि अत्थीणं । अस्थ-पयाण-समत्थो लच्छी नामेण तस्स पिया ॥ ताण चउण्हं पुत्ताण उवरि जाया मणोरह-सएहि । सुंदरिम-विणिजिय-तियस-सुंदरी सुंदरी धूया ॥ तीए परिणयणाओ अणंतरं चेव उवरओ भत्ता । भणियं पिउणा वच्छे ! विरसो चिय एस संसारो ॥ पहवंति मच्चु-पासा अखलिय-पसरा सुरासुराणं पि । ता चिट्ठ चत्त-खेया गिह-कम्मं किं पि अकुणंती ॥ अन्नदिणम्मि गवक्खे ठियाइ तीए पहम्मि वच्चंतो।
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