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कुमारपालप्रतिबोधे
[पञ्चमः
उवसामिऊण परमिट्ठि-मंत-सवणं कराविया दो वि।। मरिऊण त-प्पभावेण दो वि तुह नंदणा जाया ॥ संगामं कुणमाणा इमे पुणो एक-खेयरी-कजे । दिट्ठा मए दयाए बुज्झविया कहिय-पुव्व-भवे ॥ तो भणियं कुमरेहिं सव्वमिणं अवितहं तए कहियं । निरयंधकूव-कुहरे निवडता रक्खिया अम्हे ॥ अणुभूयं कोव-फलं अओ परं उवसमं करिस्तामो। ता देसु अम्ह दिक्खं तो दुन्नि वि दिक्खिया मुणिणा॥ उवसग्ग-परे वि परे खमा-पहाणा परप्परमकुडा। कत्थ वि विसए मरिऊण दो वि पत्ता तियस-लोयं ॥
इति कोपविषये सिंहव्याघ्र-कथा ।
अट्ट-मय-ठाणेहिं मत्तो अंतो-निविट्ठ-संकु व्व । कस्स वि अनमंतो तिहयणं पि मन्नइ तणं व नरो॥ मय-वहो उ-मुहो गयणम्मि गणंतओ रिक्खाई। अनिरिक्खिय-सुह-मग्गो भवावडे पडइ किं चोज ॥ रांया-ऽमच्चाईणं पिसेवओ माणवजिओ चेव । लहइ मण-वंछियत्थं पुरिसो माणी पुण अणत्थं ॥ माणी उव्वेय-करो न पावए कामिणीण काम-सुहं । इत्थीण काम-सत्थेसु कम्मणं मद्दवं जम्हा॥ मोक्ख-तरु-बीय-भूओ माण-त्थड्रस्स नत्थि धम्मो वि । धम्मस्स जओ समए विणउ चिय वन्निओ मूलं ॥ जाइ-कुलाइ-मएहिं नडिओ जीवो वि विडंबणं लहइ । तेहिं पुण वजिओ गोधणो व्व सुह-भायणं होई ॥ तं जहा
अस्थि इत्थेव भरहे चंदपुरी नयरी। सरयन्भ-विन्भमादब्भ-देव-भवण-प्पहा-कडप्पेण । अमरपुरिं पि हसंति व्व सहइ जा नियय-रिडीए ॥ तत्थ दमियारी राया। नक्खत्त-कुसुम-टिवडिकियाइ हरिणक-मंडल-कलाए।
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