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कुमारपालप्रतिबोध-सङ्केपः।
पवयण-पभावणा-गुण-निहिणो गिहिणो वि सप्पुरिसा ॥ तेसिं नाम-ग्गहणं पि जणइ जंतूण पुन्न-पब्भारं। सग्गाऽपवग्ग-सुह-संपयाउ संपाडइ कमेण ॥ संपइ पुण सप्पुरिसो एको सिरि-हेमचंद-मुणि-णाहो । फुरियं दूसम-समए वि जस्स लोउत्तरं चरियं ।। दुइओ य दलिय रिउ-चक्क-विक्कमो कुमरवाल-भूपालो। जेण दढं पडिवन्नो जिण-धम्मो दूसमाए वि ।। केवल-नाण-पलोइअ-तइलोकाणं जिणाण वयणेहिं । पुव्व-निवा पडिबुद्धा जिणधम्मे जं न तं चुजं ॥ चुजमिणं जं राया कुमारवालो परूढ-मिच्छत्तो । छउमत्थेण वि पहुणा जिणधम्म-परायणो विहिओ॥ तुलिय-तवणिज्ज-कंती सयवत्त-सवत्त-नयण-रमणिज्जा । पल्लविय-लोय-लोयण-हरिस-प्पसरा सरीर-सिरी॥ आबालत्तणओ वि हु चारित्तं जणिय-जण-चमक्कारं । बावीस-परीसह-सहण-दुद्धरं तिव्व-तव-पवरं ॥ मुणिय-विसमत्थ-सत्या निम्मिय-वायरण-पमुह-गंथ-गणा । परवाइ-पराजय-जाय-कित्ती मई जय-पसिद्धा॥ धम्म-पडिवत्ति-जणणं अतुच्छ-मिच्छत्त-मुच्छिआणं पि । महु-खीर-पमुह-महुरत्त-निम्मियं धम्म-वागरणं ॥ इचाइ-गुणोहं हेमसूरिणो पेच्छिऊण छेय-जणो । सदहइ अदितु वि हु तित्थंकर-गणहर-प्पमुहे ॥ जिणधम्मे पडिवत्तिं कुमरनरिंदस्स लोइउं लोओ। पत्तियइ व्व चिरंतण-भूमिवईणं पि अविअप्पं ॥ सिव-पह कहगे वि सयं वीरजिणे सेणिएण नरवइणा । जीव-दयं कारविउं न सकिओ कालसोयरिओ।। दूसम-समए वि हु हेमसूरिणो निसुणिऊण वयणाई। सव्व-जणो जीव-दयं कराविओ कुमरवालेण ।। तत्तो दुवे-वि एए इमंमि समए असंभव-चरित्ता। कय कयजुयान्वयारा जिणधम्म-पभावण-पहाणा ॥ दुण्ह वि इमाण चरियं भणिजमाणं मए निसामेह । वित्थरइ जण सुकयं थिरत्तणं होइ जिणधम्मे ॥ जइ वि चरियं इमाणं मणोहरं अत्थि बहुयमन्नं पि । तह वि जिणधम्म-पडिवोह-बंधुरं किं पि जंपेमि ।।
पृठ ३.
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