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प्रस्ताव: ]
लब्धिस्वरूपवर्णनम् ।
मुणि- अंग-संगि-सलिलं रवि व्व तिमिरं हरेइ रोग-भरं । समणंग - लग्ग-पवणेण जंति विलयं विस- प्पमुहा ॥ विस- दूसियमन्नाई मुणि-मुह पत्तेसु निव्विसं होइ । मुणि वयण - मंत-सवणेण समइ सव्वो विस-वियारो ॥ मुणिणो नह - केसाई जं जं रोगीण ओसहं तं तं । अणिमा- गुणेण साहू सई - रंधेवि संचरइ ॥ सुर- लाओ मतं महिम-गुणेणं मुणी कुणइ रुवं । लंघिज़ लघिम-गुणओ अनिलस्स वि लाघवं साहू ॥ सक्काईहिं वि दुसह मुणिणो गरिमा-गुणेण गरुयत्तं । पावण - सत्तीए छिवइ मेरु-सिरमंगुलीए मुणी ॥ पाकम्म- गुणेणं मुणी भुवी व नीरे जलि व्व भुवि चरइ । इस्सरिय-गुणेण पुणो चक्किंद - सिरिं खमो काउं ॥ साहु- वसित्त-गुणेणं पसमं कूरो वि जंतुणो जंति । अप्पडिघायत्त - गुणेण सेल-मज्झे वि कमइ सुणी ॥ अंतद्वाण - गुणेणं समणो पवणो व्व जायइ अदिस्सो । रूवेहिं कामरूवित्तणेण पूरइ जयं पि मुणी ॥ एगत्थ- वीयओ गअत्थ- बीयाइँ जत्थ जायंति । सा बीय- बुद्धि- रिद्धी संपज्जइ निच्छियं मुणिणो ॥ सा धरइ कुट्ट बुद्धी कुठे धन्नं व अक्खयं मुत्तं । एग पाउ वि गिves गंथं पि पयानुसारी सो ॥ अवगाहइ सुय-जलहिं अंतमुहत्तेण सो मणोबलिओ । सो वायाबलीयो तं गुणेइ अंतोमुहुत्तेण ॥
सो कायबली पडिमं चिरं पवन्नो वि जाइ न किलेसं । तह अमय - खीर - महु-घय - आसव-लडी हवइ साहू ॥ साहुस्स पत्त- पडियं अमयाइ - रसं भवे कदन्नं पि । वयणं व दुक्खिएसं जायइ अमयाइ - परिणामं ॥ अक्खीण- महाणस-लद्धिओ य थेवं पि बहुय-दाणे वि । मुणि-पत्त - पडियमन्नं न खिजए जिमइ जा न सयं ॥ अक्खीण-महालय-लद्धि-जोयओ साहुणो असंख-जणो । सम्माइ निरावाहं तित्थयरस्सेव परिसाए ॥
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