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कुमारपालप्रतिबोधे
सच्चा रुवाइ कया पण्णत्ति बलेण कुमरेण ॥ पट्टविया वास -हरे सचा एस त्ति जाणिउं कण्हो । तुट्ठो तीए कंठे हारं पक्खिवह सुर-दिनं ॥ तीए सह संभोगं कुणइ हरी सा वि निय-गिहं पत्ता । सुत्ता पासइ सीहं सुविणे वयणंमि पविसंतं ॥ अह सुक्काओ चविडं तीए केढव-सुरो वसइ गभे । सच्चा वि कह-पासे पत्ता अह चिंतए कहो || संभोयस्स अतित्ता अज्जवि तो आगया पुणो एसा । तेसिं रइ - विग्ध-कए कुमरेणं वाइया भेरी ॥ भेरी - सद्दं सुणिउं निसा विहाय त्ति उट्ठिओ कन्हो । जंववईए जाओ समए संबो त्ति वर- पुत्तो ॥ सो जुव्वणं पवन्नो विवाहिओ खयर-राय-कन्नाओ । पज्जुन्ने कय-नेहो तेण समं कीलइ जहिच्छं ॥ अह नेमि नाह-पासे पव्वइया दो वि विहिय-तिव्व-तवा । उप्पन्न - केवला बोहिऊण भुवणं गया मोक्खं ॥ इति तपसि प्रद्युम्न - शंब - कथा ।
इह लोयाइ - निरीहो कुणसु तवं कम्म निज्जरा - हेरं । जह धम्मजसो साहू न उण तहा धम्मघोस - मुणी ॥ तं जहा
अत्थित्थ भरह-वासे अवंति - जणवय-विसेसय- सरिच्छा । अच्छेरय-सय-कलिया नयरी नामेण उज्जेणी ॥ जत्थ सुर- घर - सिरेसुं सुवन्न- कलसाण उवरि विलसंता । रेहति धया हंस व्व गयण- गंगाइ कमलेसु ॥ अरि- विजय - कउज्जोओ राया तत्थासि चंडपज्जोओ । पुत्ता सहोयरा दो पालग-गोपालगा तस्स ॥ वेरग्ग-परिगएणं गहिया गोपालगेण पव्वज्जा । पबल - पयावेणं पालगेण पुण पालियं रज्जं ॥ जाया दो तस्स अवंतिवद्वणो रट्ठबद्धणो य सुया । रज्जे जेहो ति अवंतिवद्धणो तेण अहिसित्तो ॥
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