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कुमारपालप्रतिबोधे
तृतीयः
जेठं पुत्तं भरहं सुमंगला-देवि-अंगरुहं ॥ तक्खसिलाइ पुरीए बहली-विसयावयंस-भूयाए । रजंमि सुनंदा-नंदणं च ठविऊण बाहुबलिं ॥ बंगंग-मगह-कुंकण-कुणाल-कुंतल-अवंति-पमुहाण । सेस-सुयाणं दाऊण सेस-देसाण सामित्तं ॥ सुरकय-निक्खमण-महो चाहिं सहस्सेहिं सह नरिंदाणं । सामन्नं पडिवन्नो छह-तवेणं रिसह-सामी ॥ बाहुबलि-पुत्त-सोमप्पहस्स पुत्तेण वरिस-पजंते । सेजंसेणिक्खुरसं दाउं पाराविओ भयवं ॥ सामी पवन-मोण बहु-विह-देसेसु दंसणेणावि । संजणइ भद्दगत्तं अणारियाणं पि विहरंतो॥ सो वरिस-सहस्संते वड-विडवि-तलंमि पुरिमताल-पुरे । खविय-घणघाइ-कम्मो उप्पाडइ केवलं नाणं ॥ अह आसण-कंपाओ मुणिऊण जिणिंद-केवलुप्पत्तिं । निय-निय-परिवार जुया सुरेसरा आगया सव्वे॥ चहु-विह-देवेहिं कयं साल-त्तय-सुंदरं समोसरणं । भावारिवार-विहुरिय-जगत्तय-त्ताण-दुग्गं व ॥ तत्थ निसन्नो सामी उदय-गिरिंदे रवि व्व पुष्व-मुहो। पडिबिंबाइं सुरेहिं कयाइं सेसासु तिमु दिसिसु ॥ महि-निहिय-निडाल-यला नमिण जिणं पराइ भत्तीए । सव्वे सुर-नर-निवहा निय-निय-ट्ठाणेसु उवविठ्ठा ॥ एत्थंतरंमि पत्ता पडिहार-निवेइया दुवे पुरिसा। जमग-समगाभिहाणा भरह-नरिदस्स पासंमि ॥ जमगेण जंपियं पुरिमताल-पुर-काणणंमि सगड-मुहे। लोयालोय-पयासं पहुणो नाणं समुप्पन्नं ॥ समगेण पुणो भणियं छक्खंड-मही-पसाहण-सहायं । संपइ आउह-सालाइ चक-रयणं समुप्पन्नं ॥ पसरंत पमोय-भर भरहो चिंतइ करेमि किं पूयं । तायस्स साहु-सारस्स चक्क-रयणस्स वा पढमं ॥ अह फुरियं हियए तस्स कत्थ भुवणाभयंकरो ताओ।
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