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प्रस्ताव: ]
सुपात्रदाने चन्दनबालाकथा ।
सप्पस जहा दिनं खीरं पि विसत्तणमुवे ||
तुच्छं पि सु-पत्तंमि उ दाणं नियमेण सुह-फलं होइ । जह गावीए दिनं तिणं पि खीरत्तणमुवेइ ||
दिनेण जेण जइया जइ जण - देहस्स होइ उवयारो । भत्ती तम्मि काले जं दिज्जइ काल-सुद्धं तं ॥ अप्पाणं मन्नतो कयत्थमेगंत - निज्जरा - हेउं । जं दाणमणासंसं देइ नरो भाव-सुद्धं तं ॥ महया वि हु जत्तेणं वाणो आसन्न लक्खमहिगि व्व । मुक्का न जाइ दूरं इय आसंसाए दाणं पि ॥ मोक्खत्थं जं दाणं तं पइ एसो विही मुणेयव्वो । अणुकंपा - दाणं पुण जिणेहिं कत्थ वि न पडिसिद्धं ॥ पत्तंमि भत्ति जुत्तो जीवो समयंमि थोयमवि दिंतो । पावेइ पावचतो चंदणबाल व्व कल्लाणं ॥ तं जहा
अत्थि पुरी कोसंबी अलय व्व पभूय-पुन्न- जण-पुन्ना । चित्तं अलंकिया जा निच्चमसंखेहिं धणएहिं ॥ तत्थासि सयाणीओ राया समरंगणम्मि जस्स करे । कमल-भम- - मिलिय- भमरोह-सोहमुव्वहइ खग्ग-लया ॥ चेड-नरिंद्-धूया मिगावई नाम से महादेवी । जा निरुवम-रूव-गुणा जिणधम्मे निचला निचं ॥ तस्स सुगुत्तो मंती नंदा नामेण मंतिणो घरिणी । सा साविति जाया मिगावईए सही पवरा ॥ सेट्ठी घणावहो तत्थ अत्थि धणउ व्व विउल- धण- निवहो । मूल ति तस्स घरिणी सयल - घरारम्भ - दुम-मूलं ॥ अह तत्थ महावीरो छउमत्थो आगओ विहरमाणो । सो पोस - बहुल- पडिवय-दिणमि गिण्हइ नियममेवं ॥ तिनि दिहाई छुहिया रुयमाणी लोह - निगड-बड -कमा । मुंडिय - केस -कलावा पेसत्तं पर- गिहे पत्ता ॥ कममेकं मज्झे देहलीइ बीयं निवेसिउं वाहिं । भिक्खयरेसु गिहाओ सव्वेसु वि पडिनियत्तेसु ॥
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