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[द्वितीयः
कुमारपालप्रतिबोधे दाऊण य आएसं 'कुमरविहारो' कराविओ एत्थ । अट्ठावओ व्व रम्मो चउवीस-जिणालओ तुंगो॥ कणयामलसार-पहाहिं पिंजरे जम्मि मेरुसारिच्छे ।
रेहंति-केउदंडा कणय-मया कप्प-रुक्ख व्व ॥ स्तम्भैः कन्दलितेव काञ्चनमयैरुत्कृष्टपट्टांशुको
ल्लोचैः पल्लवितेव तैः कुसुमितेवोच्चूलमुक्ताफलैः। सौवर्णैः फलितेव यत्र कलशैराभाति सिक्ता सती
श्रीपार्श्वस्य शरीरकान्तिलहरीलक्षेण लक्ष्मीलता ॥ पासस्स मूलपडिमा निम्मविया जत्थ चंदकंतमई । जण-नयण-कुवलउल्लास-कारिणी चंद-मुत्ति व्व ॥ अन्नाओ वि बहुयाओ चामीयर-रुप्प-पित्तलमईओ। लोयस्स कस्स न कुणंति विम्हयं जत्थ पडिमाओ॥ संपइ देव-सरूवं मुणिऊण समुल्लसंत-सुह-भावो । तित्थयर-मंदिराई सव्वत्थ वि कारविस्सामि ॥ तत्तो इहेव नयरे कारविओ कुमरवाल-देवेण । गरओ 'तिहुण-विहारो' गयण-तलुत्तंभण-क्खंभो॥ कंचणमय-आमलसार-कलस-केउप्पहाहिं पिंजरिओ।" जो भन्नइ सव्वं चिय जणेण मेरु त्ति पासाओ॥ जस्सि महप्पमाणा सव्वुत्तम-नीलरयण-निम्माया। मूल-पडिमा निवेणं निवेसिया नेमिनाहस्स ॥ कुसुमोह-अचिया जा जणाण का पवित्तयं पत्ता। गंगा-तरंग-रंगंत-चंगिमा सहइ जउण व्व ॥ वहताण जिणाणं रिसह-प्पमुहाण जत्थ चउवीसा । पित्तलमय-पडिमाओ काराविया देवउलियासु ॥ एवमइकंताणं तह भावीणं जिणाण पडिमाओ। चउवीसा चउवीसा निवेसिया देवउलियासु ॥ इय पयडिय-धय-जसडंबराहिं बाहत्तरीइ जो तुंगो। सप्पुरिसो व्व कलाहिं अलंकिओ देवकुलियाहिं ॥ अन्नेवि चउव्वीसा चउवीसाए जिणाण पासाया। कारविया तिविहार-प्पमुहा अवरे वि इह बहवो ॥ जे उण अन्ने-अन्नेसु नगर-गामाइएमु कारविया ।
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