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प्रस्ताव: ]
देवपूजा पूजाविषये सोम-भीमयोः कथानकम् ।
तं परिणेऊण समं विसय-सुहं सेवसु विसिहं ॥ अह बाला रुयमाणी भइ विकत्थसि किमेवमप्पाणं । जइ वि तुमं तियस पहू तहावि तुमए न मे कज्जं ॥ तो जोगिणा पलत्तं मयंक वयणे ! करेसु मह वयणं । अन्नह नियय-समीहियमहं करिस्सं हढेणावि ॥ जो होइ हसंताणं रोयंताणं च सुयणु ! पाहुणओ । ता सो वरं हसंताण किं न एयं सुयं तुमए ॥ बिंबोट्टि ! किं विलंबसि उट्ठसु सकरेण गिव्ह मज्झ करं । जेणेह जलण-कुंडंमि मंडलाई परिब्भमिमो ॥ इय जंपतो जोगी करेण तं जाव वेत्तुमाढत्तो । ता पुक्करियं तीए अहो ! अणाहा इमा पुहवी ॥ भो ! सुणह लोग - पाला ! वियरह वणदेवयाओ अवहाणं । सीहपुर - नयर - पहुणो सीहरह-निवस्स धूयाऽहं ॥ नामेण चंदलेहा मणिरह - नरवइ - सुयंमि मणिचूडे । गुण-सवणओरत्ता दिन्ना पिउणा वि तस्सेव ॥ तं मुत्तुं मह अंगे अग्गि च्चिय लग्गए न उण अन्नो । इय मे निच्छय - भंगेण कुणइ जोगी पुण अखत्तं ॥ एत्थंतरे कुमारो उवसप्पंतो भणेइ खग्ग-करो । किं होइ अखत्तं खत्तियंमि मइ सुयण ! संनिहिए ॥ तो जोगिणा पत्ता इंतस्स इमस्स थंभणी विज्जा । सा तम्मि मुहा जाया तरुणी- दिट्ठि व्व नीरागे ॥ एसो महापभावोति चिंतिउं लज्जिओ भणड़ जोगी । दहुं पगिट्ठ-रूवा अपंग विद्दुरेण जं एसा ॥ विज्जा - बलेण इह आणिऊण अन्भत्थिया मए एवं । तं कयमिणं अजुत्तं न पुणो एवं करिस्सामि ॥ कुमरो जंपइ गहिय व्वयस्स ते अणुचिया सयल - रमणी । अन्नरस विवाहे विहिय - निच्छया किं पुणो एसा ॥ नयणाण पडउ वज्जं अहवा वज्जस्स वहिलं किंपि । अमुणिय - सम्भावंमि वि अणुरायं जाएं कुव्वंति ॥ जोगिणा वृत्तं - सप्पुरिस ! परमोवयारी तुमं जेण नियत्तिओऽहं दुन्न
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