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२४] लोकविभागः
[१. २०१क्षेमा क्षेमपुरी नाम्नाऽरिष्टारिष्टपुरी तथा । खड्गा पुनश्च मञ्जूषा त्वोषधी पुण्डरीकिणी ॥२०१ राजधान्य इमा ज्ञेयाः सीताया उत्तरे तटे । दक्षिणे तु सुसीमा च कुण्डला चापराजिता ।। २०२ प्रभंकरा चतुर्थी स्यात्पञ्चम्यङ्कावती पुरी । पद्मावती शुभेत्याया चाष्टमी रत्नसंचया ॥ २०३ अवसिंहमहापुर्यो विजया च पुरी पुनः । अरजा विरजाऽशोका वीतशोकेति चाष्टमी ॥२०४ विजया वैजयन्ती च जयन्त्यन्यापराजिता । चका खड्गा त्वयोध्या च अवध्या'चोत्तरे तटे।।२०५ दक्षिणोतरतो ह्येता नगर्यो द्वादशायताः । नवयोजनविस्तीर्णा हैमप्राकारसंवताः ।। २०६ युक्ता द्वारसहस्रेण तदर्धरपि चाल्पकैः । सप्तभिश्च शतैर्दभ्र रत्नचित्रकवाटकैः ॥ २०७ सहस्रं च चतुष्काणां रथ्या द्वादशसंगुणाः । एतासामक्षयाश्चैता नगर्यो नान्यनिर्मिताः ॥२०८ गङ्गा सिन्धुश्च विजये प्रसूते नीलपर्वतात् । विजयार्धगुहातीते सीतां प्रविशतश्च ते ॥२०९ योजनाष्टकमुद्विद्धे गुहे द्वादशविस्तृते । विजयासमायामे द्वे द्वे च प्रतिपर्वतम् ।। २१०
।५०। एवं षोडश ता नद्यो भारत्या गङ्गया समाः। रक्ता रक्तवतीत्येवं निषधात्षोडशागताः ।। २११
क्षेमा, क्षेमपुरी, अरिष्टा, अरिष्टपुरी, खड्गा, मंजषा, ओषधी और पुण्डरीकिणी; ये सीता नदीके उत्तर तटपर स्थित राजधानियां जानना चाहिये । उसके दक्षिण तटके ऊपर सुसीमा, कुण्डला, अपराजिता, प्रभंकरा, अंकावती, पद्मावती, शुभा और रत्नसंचया पुरी ये आठ नगरियां स्थित हैं ।। २०१-२०३ ।। अश्वपुरी, सिंहपुरी, महापुरी, विजयापुरी, अरजा, विरजा, अशोका और वीतशोका ये राजधानियां सीतोदाके दक्षिण तटपर स्थित हैं ।। २०४ । विजया, वैजयन्ती, जयन्ती, अपरजिता, चक्रा, खड्गा, अयोध्या और अवध्या ये राजधानियां सीतोदाके उत्तर तटपर स्थित हैं । २०५॥
ये नगरियां दक्षिण-उत्तरमें बारह योजन आयत और [ पूर्व-पश्चिममें ] नौ योजन विस्तीर्ण तथा सुवर्णमय प्राकारसे वेष्टित हैं ॥२०६॥ उक्त नगरियां एक हजार गोपुरद्वारोंसे, इनसे आधे अर्थात् पांच सौ अल्प द्वारोंसे तथा रत्नोंसे विचित्र कपाटोंवाले सात सौ क्षुद्रद्वारोंसे युक्त हैं । इन नगरियों में एक हजार चतुष्पथ और बारह हजार रथमार्ग हैं । ये अविनश्वर नगरियां अन्य किसी के द्वारा निर्मित नहीं है-अकृत्रिम हैं ।। २०७-२०८॥
. प्रत्येक विजय में गंगा और सिंधु ये दो नदियां नील पर्वतसे उत्पन्न होकर विजयाई पर्वतकी गुफाओं में से जाती हुईं सीता महानदी में प्रविष्ट होती हैं ।। २०९ ।। प्रत्येक विजयाई पवंतमें आठ योजन ऊंची, बारह योजन विस्तृत तथा विजयार्ध के बराबर (५० यो.) लंबी दो दो गुफायें स्थित हैं ।। २१० ।। इस प्रकार वे सोलह गंगा-सिन्धु नदियां भारत वर्षकी गंगा नदीके समान हैं । इसी प्रकार रक्ता और रक्तवती नाम की सोलह नदियां निषध पर्वतसे निकली हैं ॥२११।।
१ब अवद्या । २ प युक्त्वा । ३ब निमिताः । ४ प प्राविशतश्च ।
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