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अशुद्ध
त्साव
आठवीं रमणीया
दशैवेष
शुद्धि-पत्र
प्रदेशोंकी हानि करके योजनोंकी भी हानि
समझना चाहिये प्रदेशोंकी हानि करके प्रकारसे ही
जानना चाहिये
- ताहत
क्रिमेण
पूर्व
आगोके
कल्पवृक्षोंके मृदंगांग तैर्लम्मितो
आकऐं शरीरोंका
उपस्थित होनेपर तस्सोसल
वि [ धनि ] वारुणश्चार्यमाचान्यो
सारमट
नक्षत्र
चमरस्रतो
-त्रिशत्तु
भूतोत्तमा प्रतिच्छनाश्च किंनरोत्तसाः
८०००
८००००
शशी
रहने चोवीयास्युर्य
शुद्ध
वत्सा
रमणीया, आठवीं दशैवैष
प्रदेश जा करके
योजनोंके क्रमको भी जानना चाहिये
प्रदेश जा करके
प्रकार से पंचानबै अंगुल, धनुष और योजन जानेपर वह क्रमसे सोलह अंगुल आदि प्रमाण ऊंचा उठा है -ताहतम् ।
क्रमेण
पूर्व
आगे
कल्पवृक्षों के साथ मृदंगांग तैर्लम्भितो आकरों
उपस्थित होनेपर आर्योंके शरीरका
X
X
X
तस्सोलस श्रवि [ धनि ] वारुणश्चार्यमा चान्यो
सारभट
ग्रह चमरस्ततो
-स्त्रिशत्तु
भूतोत्तमाः प्रतिच्छन्नाश्च
किंनरोत्तमाः
८००००
८०००
शची
रहने से चोवास्तु
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