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विषय
आठ व्यन्तर निकायोके नाम
पिशाच व्यन्तरोके १४ कुलभेद, दो इन्द्र व उनकी २-२ वल्लभा देवियोंके नामादि भूत व्यन्तरोंके ७ कुल, दो इन्द्र व उनकी अग्रदेवियोंके नाम आदि गन्धर्व व्यन्तरोंके १० कुल, दो इन्द्र व उनकी अग्रदेवियोंके नाम किन्नर व्यन्तरोंके १० कुल, दो इन्द्र व उनकी अग्रदेवियां
लोकविभागः
१६
१७-२१
२२-२४
२५-२७
२८-३१
महोरग व्यन्तरोंके १० कुल, दो इन्द्र व उनकी अग्रदेवियां
३२-३५
राक्षस व्यन्तरोंके ७ तथा किंपुरुष व्यन्तरोंके १० कुल २-२ इन्द्र व उनकी अग्रदेवियां ३६-४२
यक्ष व्यन्तरोंके १२ कुल, दो इन्द्र व उनकी अग्रदेवियां
४३-४५
इन्द्रों व उनकी अग्रदेवियोंकी आयु तथा उन देवियोंका परिवार
४६
उक्त पिशाचादि ८ व्यन्तरोंका वर्णादि
४७-५४
५५-६०
६१-६२
६३-६४
६५-६६
६७-७४
७५-७६
७७
७८-८५
८६
८७
८८
पिशाचादि व्यन्तरोंके चैत्यवृक्ष व उनका विस्तारादि व्यन्तरेन्द्रोंके सामानिक व पारिषद देवोंकी संख्या उनके ७ अनीकों व अनीकमहत्तरोंके नाम
पृथक् पृथक् प्रथमादि अनीकों व समस्त अनीकोंकी संख्या व्यन्तरेन्द्रोंकी ५-५ नगरियोंके नाम व उनका विस्तारादि व्यन्तरेन्द्रनगरोंके स्थान
भवनत्रिक देवोंमें सम्भव लेश्याका निर्देश
पिशाचादि निकायों में गणिका महत्तरोंके नाम
गणिकाओंके पुरोंका विस्तारप्रमाण
गणिकाओंका आयुप्रमाण
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श्लोकसंख्या
व्यन्तरोंकी ऊंचाई, आहार व श्वासोच्छ्वासका काल
ऐशान पर्यन्त देवोंकी जन्मतः व विक्रियाकी अपेक्षा ऊंचाईका प्रमाण भवनत्रिक देवों में उत्पन्न होनेवाले प्राणियोंका निर्देश
१०. दशम विभाग
वर्धमान जिनेन्द्रको नमस्कारपूर्वक ऊर्ध्वलोकके कथनकी प्रतिज्ञा नीचोपपातिक आदि व्यन्तर, ज्योतिषी, कल्पोपन्न और वैमानिक देवों तथा सिद्धोंका
अवस्थान
नीचोपपातिक आदि व्यन्तर देवोंके उपरिम अवस्थानके साथ आयुका प्रमाण ज्योतिषी, सूर्य और चन्द्र देवोंकी आयु
दो वैमानिकभेदों के निर्देशपूर्वक १२ कल्पोंके नाम
अधोग्रैवेयक आदि ३ ग्रैवेयक, अनुदिक्, अनुत्तर और ईषत्प्राग्भारका अवस्थान समस्त विमानसंख्या
पटलों व इन्द्रकोंकी संख्या
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९०
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२-६
७-१३
१४-१५
१६-१८
१९-२०
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