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________________ विषय ऋतु इन्द्रकादिकोंके श्रेणीबद्धोंकी संख्या कल्पाश्रित इन्द्रकों का निर्देश ग्रैवेयकादिकों में इन्द्रकोंका निर्देश सोलह कल्पोंको स्वीकार करनेवाले आचार्योंके मतसे विमानसंख्याका निर्देश मतान्तरसे आनतादिक कल्पोंकी विमानसंख्या विषय-सूची ग्रैवेयकादिकोंकी विमानसंख्या आदित्य और सर्वार्थसिद्धिके श्रेणीबद्धोंका अवस्थान कल्पानुसार संख्यात व असंख्यात योजन विस्तारवाले विमानोंकी संख्या ग्रैवेयकादिमें संख्यात व असंख्यात यो विस्तारवाले विमानोंकी संख्या संख्यात व असंख्यात यो. विस्तारवाले समस्त विमानोंकी संख्या समस्त श्रेणीबद्धसंख्या कल्पानुसार श्रेणीबद्धसंख्या ग्रैवेयादिकोंकी श्रेणीबद्धसंख्या इन्द्रकों के विस्तारमें हानि-वृद्धिका प्रमाण श्रेणीबद्ध विमानोंका द्वीपाश्रित अवस्थान ऋतु विमानका अवस्थान विमानोंका आधार विमानोंका बाहल्य विमानगत प्रासादोंकी ऊँचाई विमानों का वर्ण देवोंकी गति देवोंकी आगति सौधर्मादि इन्द्रोंके वराहादि १४ मुकुटचिह्न सौधर्म इन्द्रका अवस्थान व उसके नगरादि ईशान इन्द्रका अवस्थान व नगरादि सनत्कुमार इन्द्रका अवस्थान व नगरादि माहेन्द्रनगर दि ब्रह्मेन्द्र नगरादि ब्रह्मोत्तर इन्द्र व उसकी वल्लभा लान्तवपुरमें स्थित लान्तवेन्द्र के प्रासादादि कपित्थकी वल्लभा शुक्रपुरमें शुकदेव के प्रासादादि महाशुकी वल्लभा व परिवारादि शतारपुरमें स्थित शतारेन्द्र के प्रासादादि Jain Education International For Private & Personal Use Only [ ४९ श्लोकसंख्या २४ २५-३३ ३३-३५ ३६-४२ ४३ ४४-४५ ४६-४८ ४९-५४ ५५-५७ ५८-५९ ६० ६१-६६ ६६-६७ ६८ ६९-७० ७० ७१-७२ ७३.५ ७६-७८ ७९-८० ८१-८८ ८९ ९०-९२ ९३ - १०१ १०२-१०३ १०४ - ११० १११-१२ ११३-१८ ११९ १२०-२६ १२७ १२८-३३ १३४ १३५-४० www.jainelibrary.org
SR No.001872
Book TitleLokvibhag
Original Sutra AuthorSinhsuri
AuthorBalchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2001
Total Pages312
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Geography
File Size22 MB
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