SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 48
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१४ विषय-सूची [४५ विषय श्लोकसंख्या कृत्तिका आदि नक्षत्रोंके देवता १९४-९६ रौद्र व श्वेत आदि मुहूर्तविशेषोंका निर्देश १९७-२०० समय व आवलि आदिरूप व्यवहारकालका प्रमाण २०१-५ सूर्य के अभ्यन्तर मार्गमें होनेपर सब क्षेत्रोंमें दिन-रात्रिका प्रमाण २०६ चक्षु इन्द्रियके उत्कृष्ट विषयक्षेत्रका प्रमाण २०७-८ अयोध्यामें सूर्य कब देखा जाता है व कहां जाकर वह अस्त होता है २०९-१० चक्षुके विषयक्षेत्रके लानेमें बाणका उल्लेख व आद्य वीथीका विस्तार २११ निषध पर्वतकी पार्श्वभुजा २१२ हरिवर्षका धनुष २१३ निषध पर्वतका धनुष सब वर्षोंमें रात्रि-दिनकी समानता कब होती है २१५ सूर्यके बाहय मण्डलमें होनेपर दिन-रात्रिका प्रमाण २१६ सूर्यादि ज्योतिषियोंका मुख पश्चिम दिशामें होता है २१७ ग्रहोंकी आवृत्तियां २१८ सूर्य-चन्द्रादि क्रमसे ही प्रथम मण्डलमें परिक्रमा करते हैं २१९ भरत व हिमवान् आदिके ऊपर संचार करनेवाले ताराओंकी संख्या २२०-२२ लवणोद व धातकीखंड आदिमें तारासंख्या २२३-२४ अढाई द्वीपमें नक्षत्र, ग्रह, अल्पकेतु, महाकेतु, चन्द्र-सूर्यवीथियों और ताराओंका प्रमाण २२५-२९ चन्द्र-सूर्यादिकी आयुका प्रमाण २३०-३१ चन्द्र और सूर्य की चार चार अग्रदेवियां व उनकी परिवारदेवियों एवं विक्रियाका प्रमाण २३२-३४ ज्योतिष्क देवियोंकी आयु और सर्वनिकृष्ट देवोंकी देवियोंका प्रमाण २३५ अठासी ग्रहों आदिके संचार आदिको ग्रन्थान्तरसे जान लेनेकी सूचना २३६ ७. सातवां विभाग अधोलोकके संक्षेपके कहनेकी प्रतिज्ञा चित्रा-वज्रा आदि १६ पृथिवियोंके नाम व उनका अवस्थान २-५ सत्तरहवीं (पंक भाग) व अठारहवीं (अब्बहुल भाग) पृथिवीका बाहल्य रत्नप्रभा पृथिवीकी सार्थकतापूर्वक चित्राके ऊपर व्यन्तरोंके आलयोंका निर्देश ८-१० १७८००० यो. विस्तृत रत्नप्रभाके मध्यमें भवनवासी देवोंके भवनोंका निर्देश भवनवासियोंके नामोल्लेखपूर्वक उनके भवनोंकी संख्या, जिनभवनोंकी संख्या और उन भवनोंका विस्तारप्रमाण । १२-१८ उन सुन्दर व सुखसामग्रीसे परिपूर्ण भवनोंमें भवनवासी देवोंका निवास १९-२५ उन १० भवनवासियोंके इन्द्रोंका निर्देश २६-३१ चमरेन्द्रादिकोंके भवनोंकी संख्या ३२-३७ उपन्द्रोंका उल्लेख यो m . ३८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org |
SR No.001872
Book TitleLokvibhag
Original Sutra AuthorSinhsuri
AuthorBalchandra Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year2001
Total Pages312
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Geography
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy