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विषय-सूची
[४१
श्लोकसंख्या
१७-१८
२०-२६
४२
४३
४४-४९ ५०-५१
५२
५३ ५४-५५
विषय तीन द्वीपोंमें विजयाध आदिकोंकी ऊंचाईकी समानताका निर्देश कुण्डोंकी वेदिकायें धातकीखण्ड और पुष्करार्धमें स्थित चारों मेरुओंका विस्तारादि इन मेरुओंपर स्थित नन्दनादि वनोंका विस्तारादि धातकीखण्डकी परिधिका प्रमाण कालोदक समुद्र और पुष्करद्वीपका अवस्थान कालोदक समुद्रको बाह्य परिधिका प्रमाण कालोदक समुद्रादिकोंकी विशेषता कालोदक समुद्रकी पूर्वादि दिशाओंमें स्थित कुमानुषोंका विवरण कालोदक समुद्र में स्थित अन्तरद्वीपोंकी दूरी आदि इन अन्तरद्वीपोंमें स्थित कुमानुषोंका वर्ण व आहारादि लवणोदके साथ कालोदकसमुद्र के अन्तरद्वीपोंकी संख्या पुष्करद्वीप व मानुषक्षेत्रका विस्तार पुष्करार्धद्वीपकी मध्य व बाह्य परिधि पुष्करार्धमें स्थित हिमवदादि पर्वतोंका विस्तारादि पुष्करार्धमें पर्वतरुद्ध क्षेत्रका प्रमाण पुष्करार्धद्वीपस्थ भरतक्षेका विस्तार वहां स्थित हैमवतादि क्षेत्रोंका विस्तार मानुषोत्तर पर्वतका अवस्थान व उसकी ऊंचाई आदि पुष्करार्धद्वीपस्थ २८ नदियां मानुषोत्तर पर्वतपर स्थित १८ कूटोंका अवस्थानादि मध्यलोकमें स्थित ३९८ जिनभवनोंको नमस्कार ४. चतुर्थ विभाग जंबूद्वीपादि १६ द्वीपों और लवणोदादि १६ समुद्रोंका नामोल्लेख मनःशिल आदि अन्तिम १६-१६ द्वीप-समुद्रोंका नामोल्लेख लवणोदादि समुद्रोंके जलका स्वाद जलचर जीवोंकी सम्भावना कहांपर है पिछले द्वीप-समुद्रादिकोंके समस्त विस्तारकी अपेक्षा अगले द्वीप-समुद्रका विस्तार द्वीप-समुद्रोंमें राजुके अर्धच्छेदोंकी व्यवस्था जंबूद्वीप व लवणोदादिके अधिपति देवोंके नाम नन्दीश्वर द्वीपका विस्तारादि नन्दीश्वर द्वीपमें अंजन पर्वतादिकोंका अवस्थान व उनका विस्तारादि । इन (४+१६+३२)पर्वतोंके ऊपर स्थित ५२ जिनालयोंमें देवोंके द्वारा की
जानेवाली पूजाका उल्लेख
५८-५९
६० ६१-६४
६६-७१
७२ ७३-७६
७७
८-१२ १३-१४
१५
१७-२३ २४-३१ ३२-३६ ३७-५०
५१-५४
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