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विषय-सूची
[३९ विषय
श्लोकसंख्या गजदन्तोंके ऊपर स्थित कुटोंके नामादि
१६८-७४ इन कुटों में दोनों ओरके अन्तिम २-२ कूटोंपर तथा मध्यवर्ती शेष कूटोंपर स्थित देवियों व नागकुमारियोंका उल्लेख
१७५-७६ पूर्व और अपर विदेहोंमें स्थित ८-८ गजदन्तोंका अवस्थान व नामादि
१७७-८४ भद्रशाल वनका विस्तार व उसकी वेदिकायें
१८५-८६ १२ विभंगा नदियोंका उद्गम आदि
१८७-९१ ३२ विदेहों के नाम व उनका अवस्थानादि
१९२-९८ इन क्षेत्रोंके मध्यमें स्थित विजया|का उल्लेख
१९९-२०० उक्त ३२ विदेहोंमें स्थित ३२ राजधानियोंके नाम आदि
२०१-८ उन विदेहोंमें बहनेवाली गंगा-सिन्धु और रक्ता-रक्तोदा नामकी ६४ नदियोंका निर्देश
२०९-१३ विदेहक्षेत्रस्थ समस्त नदियोंकी संख्या
२१४-१५ जंबूद्वीपस्थ समस्त नदियोंकी संख्या
२१६ वृषभाचलोंकी संख्या
२१७ देवारण्योंका अवस्थान व विस्तारादि
२१८-१९ मेरु पर्वतका अवस्थान व विस्तारादि
२२०-२४ नन्दन वनका अवस्थान व वहां मेरुका विस्तारादि
२२५-२९ सौमनस वनका अवस्थान व वहाँ मेरुका विस्तारादि
२३०-३४ पाण्डुक वनके समीपमें मेरुका विस्तारादि व उसके ऊपर स्थित चूलिका २३५-३८ मेरुके समविस्तारका प्रमाण
२३९ अभीष्ट स्थानमें मेरुके विस्तारके जाननेका उपाय
२४०-४१ अभीष्ट स्थानमें चूलिकाके विस्तारके जाननेका उपाय
२४२ मेरुके विस्तारमें प्रदेश व अंगुलादिके क्रमसे होनेवाली हानि-वृद्धिका निर्देश
२४३ मेरुकी परिधियां व उनका विस्तार
२४४-४६ मेरुकी ७वीं परिधिके ११ भेद
२४७-५० एक लाख यो. ऊंचे मेरुके वज्रमय आदि विभाग
२५१-५२ नन्दन वनमें स्थित मानादि ४ भवनोंका विस्तारादि
२५३-५६ सौमन वनमें स्थित वज्रादि ४ भवनोंका विस्तारादि
२५७-५८ पाण्डक वनमें स्थित लोहितादि ४ भवनोंका विस्तारादि
२५९ सौधर्म इन्द्रके सोमादि ४ लोकपालोंकी विमानसंख्या, वस्त्रादिका वर्ण एवं आयुप्रमाण २६०-६४ बलभद्र कूट व उसके ऊपर स्थित बलभद्र देव नन्दन वनमें स्थित नन्दनादि ८ कूट व उनके ऊपर स्थित मेघंकरा आदि ८ देवियां २६६-६९ मेरुकी आग्नेय दिशामें स्थित उत्पलगुल्मा आदि ४ वापियोंका विस्तारादि २७०-७३ वापियोंके मध्यमें स्थित इन्द्रभवनमें इन्द्र और लोकपालादिकोंके आसन
२७४-७८
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