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१४२] लोकविभामः
[७७३समुद्रविद्युतस्तनिता द्विपल्याधिकजीविनः । द्वादशाहन चाहारः श्वासस्तावन्मुहूर्तकः ॥ ५३ दिगग्निवातसंज्ञानां पल्यं साधं च साधिकम् । सार्धसप्तदिन क्तिः श्वासस्तावन्मुहूर्तकः ॥ ७४ ।। त्रास्त्रिशत्प्रतीन्द्राणां सामानिकदिवौकसाम् । आयुराहारकोच्छ्वासाः स्वः स्वैरिन्द्रः समाः खलु॥७५
उक्तं च द्वयम् [ त्रि. सा. २४१-४२]असुरचउक्के सेसे उवही पल्लत्तयं दलूणकम । उत्तरइंदाणहियं सरिसं इंदादिपंचण्हं ॥९
सा १।१३।५।१२।३। आऊपरिवारिड्ढीविक्किरियाहि पडिदयाइचऊ । सगसगइंदेहि समा दहरच्छत्तादिसंजुत्ता ॥ १० सार्धद्विपल्यमायुष्यं चमरस्य तु योषितान् । पल्यत्रयं परस्यापि भोगिनां पल्यकाष्टमः ॥७६ पूर्वकोटित्रयं चायुः सुपर्णेन्द्राङ्गनास्वपि । द्वीपादिशेषकेन्द्राणां वर्षकोटित्रयं भवेत् ॥ ७७ सेनामहत्तराणां च चमरस्यात्मरक्षिणाम् । पल्यमायुस्तदर्घ स्याद्वाहनानीकवासिनाम् ॥ ७८
वैरोचनेऽधिक तच्च तत्स्थाने भोगिनां पुनः। जीवितं पूर्वकोटिश्च वर्षकोटिः क्रमाद्भवेत् ॥७९
तथा उतने (१२३) ही मुहूर्तोंमें उच्छ्वास भी लेते हैं ।। ७२ ।। उदधिकुमार, विद्युत्कुमार और स्तनितकुमार देवोंमें दक्षिण इन्द्रोंकी आयु दो पल्य और उत्तर इन्द्रोंकी उससे कुछ अधिक होती है। वे बारह दिनोंमें आहार ग्रहण करते हैं तथा उतने (१२) ही मुहर्तोंमें उच्छ्वास लेते हैं॥७३॥ दिक्कुमार, अग्निकुमार और वायुकुमार देवोंमें दक्षिण इन्द्रोंकी आयु डेढ़ पल्य और उत्तर इन्द्रोंकी उससे कुछ अधिक होती है । वे साढ़े सात (७३) दिनोंमें आहार ग्रहण करते हैं तथा उतने (७३) ही मुहूर्तोंमें उच्छ्वास लेते हैं ॥ ७४ ।।
त्रास्त्रिश, प्रतीन्द्र और सामानिक देवोंकी आयु, आहारग्रहण एवं उच्छ्वासका काल अपने अपने इन्द्रोंके समान है ।। ७५ ॥ यहां दो गाथायें कही गई हैं
असुरकुमार आदि चार तथा शेष छह भवनवासी देवोंकी आयु क्रमशः एक सागर तीन पल्य तथा आगे आधे पल्यसे कम होती गई है - असुर १ सागर, नागकुमार ३ पल्य, सुपर्ण. २३ प., द्वीप. २ प., शेष १३ प. । उत्तर इन्द्रोंकी आयु दक्षिण इन्द्रोंकी अपेक्षा कुछ अधिक होती है। यह आयुका प्रमाण इन्द्रादिक पांचके समान रूपमें होता है । प्रतीन्द्र आदि चार प्रकारके देव आयु, परिवार, ऋद्धि तथा विक्रिया में अपने अपने इन्द्रोंके समान होते हैं। इनके छन आदि इन्द्रोंकी अपेक्षा कुछ हीन होते हैं ॥९-१०॥
चमरेन्द्रकी देवियोंकी आयु अढाई (२३) पल्य, वैरोचन इन्द्रकी देवियोंकी तीन (३) पल्य, नागकुमार देवियोंकी आयु पल्यके आठवें भाग (2), सुपर्णकुमार इन्द्रोंकी देवांगनाओंने वह आयु तीन पूर्वकोटि, तथा द्वीपकुमार आदि शेष इन्द्रोंकी देवियोंकी आयु तीन करोड़ (३०००००००) वर्ष प्रमाण होती है ।। ७६-७७॥
चमरेन्द्रके सेनामहत्तरों और आत्मरक्षकोंकी आयु एक पल्य प्रमाण तथा वाहन एवं अनीक देवोंकी आयु उससे आधी (१ पल्य) होती है ॥ ७८॥ इनसे वैरोचन इन्द्रके इन देवोंकी आयु कुछ अधिक होती है । नागकुमार इन्द्रोंके इन देवों की आयु क्रमसे एक पूर्वकोटि
आपथलणकमं।
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