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-६.२३६] षष्ठो विभाग:
[१३३ आयुर्योतिष्कदेवीनां स्वस्वदेवायुरर्धकम् । सर्वेभ्यश्च निकृष्टानां देव्यो द्वात्रिंशदेव च ॥ २३५
'अष्टाशीत्यस्तारकोरुग्रहाणां चारो वर्क विप्रवासोदयाश्च । मार्गा वीथ्यो मण्डलादीनि चापि
ग्राह्य शेषं ज्यौतिषग्रन्थदृष्टम् ॥ २३६ इति लोकविभागे तिर्यग्लोक [ज्योतिर्लोक] विभागो नाम षष्ठं प्रकरणं समाप्तम् ॥६॥
विक्रिया करती हैं ।। २३४ ॥ ज्योतिष्क देवियोंकी आयु अपने अपने देवोंकी आयुके अर्ध भाग प्रमाण होती है। सबसे निकृष्ट देवोंके बत्तीस ही देवियां होती हैं ।। २३५ ।। अठासी नक्षत्र, तारका और महाग्रहोंके संचार, वक्र, विप्रवास (?) उदय, मार्ग, वीथियां और मण्डल आदिका शेष कथन ज्योतिष ग्रन्थोंमें देखकर जानना चाहिये ।। २३६ ॥
इस प्रकार लोकविभागमें ज्योतिर्लोक विभाग नामक छठा प्रकरण समाप्त हुआ ॥६॥
१ आ 'अष्टाशीत्या ।
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