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-६.६८]
षष्ठो विभागः
त्रिशद सहस्राणां तथैव नियुतत्रिकम् । रूपोना नवतिश्चैव परिधिः पूर्वमण्डले ॥ ६५
३१५०८९
उत्तरं द्विशतं त्रिशद्योजनान्यत्र संख्यया । सप्तद्विकचतुर्णां च त्रिचतुष्कैकमकशः ॥ ६६ १४३ 1
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भानोरिव परिक्षेप इन्दोर्मध्यान्तमण्डले । सप्तद्विकचतुष्काणामशी तिद्विशतेन च ।। ६७ त्रयस्त्रिंशच्छतेनांशः क्रमाद्धीनो भवेद् ध्रुवम् । स एवोत्तरहीनः स्यादुपान्त्येऽन्तरमिष्यते ॥ ६८
२८० । । ।
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चन्द्रोंका मध्यम अन्तर इकसठ भागों में आठ भागों (ई) से हीन है तथा बाह्य अन्तर दो आठ ( ८x२) अर्थात् सोलह भागों ( ६ ) से हीन है ॥ ६४ ॥
विशेषार्थ - सूर्य और चन्द्रका जो प्रथम वीथीमें मेरुसे ४४८२० यो. प्रमाण अन्तर बतलाया गया है उसको दुगुणा करके प्राप्त संख्यामें मेरुके विस्तारको मिला देनेसे प्रथम वीथीमें स्थित दोनों सूर्यों तथा दोनों चन्द्रोंके भी मध्यगत अन्तरका प्रमाण प्राप्त होता है । यथा४४८२०×२+१०००० = ९९६४० यो । अब चन्द्रका विमान चूंकि सूर्यके विमानसे यो. afar विस्तृत है, अत एव मध्यम वीथीमें संचार करते समय दोनों चन्द्रविमानोंका आधा भाग इस ओर तथा आधा भाग उस ओर रहनेसे सूर्योके अन्तरकी अपेक्षा मध्यम वीथीगत दोनों चन्द्रोंके अन्तर यो की हानि रहेगी । परन्तु बाह्य वीथीमें संचरण करते हुए उभय चन्द्रोंके मध्यगत अन्तरमें यह हानि दुगुणी (६६) रहेगी। कारण इसका यह है बाह्य वीथीगत उभय चन्द्रोंके विमान पूर्ण रूपसे संचारक्षेत्रके भीतर ही रहेंगे । श्लोक ६२-६३ के अनुसार मध्यम एवं बाह्य वीथीमें स्थित दोनों चन्द्रोंके मध्यगत उपर्युक्त अन्तरका प्रमाण इस प्रकार प्राप्त होता है -- ९९६४० + (७२३५७ × ४ ) १००१४९६३ यो. उभय चन्द्रोंका मध्यम अन्तर, १००१४९६३ + ६ = १००१५० यो. उभय सूर्योका मध्यम अन्तर ( देखिये पीछे श्लोक ४८); ९९६४० + (७२१५७ × १४) = १००६५९६५ यो. उभय चन्द्रोंका बाह्य अन्तर, १००६५९६षु + ६ = १००६६० यो. दोनों सूर्योका बाह्य अन्तर ।
पूर्व वीथी में परिधिका प्रमाण तीन लाख तथा तीसके आधे (पन्द्रह ) हजार नवासी ( ३१५०८९) योजन है ।। ६५ ।। यहाँ चयका प्रमाण दो सौ तीस योजन और एक योजनके चार सौ सत्ताईस भागोंमेंसे एक सौ तेतालीस भाग ( २३०३३) प्रमाण है ।। ६६ ।। चन्द्रकी मध्यम और अन्तिम वीथियोंमें परिधिका प्रमाण सूर्यके ही समान है । वह उससे केवल मध्यम वीथी में एक योजनके चार सौ सत्ताईस भागोंमें दो सौ अस्सी भागों ( १७ ) से तथा बाह्य वीथीमें एक सौ तेतीस भागों ( 733 ) से हीन है । इस बाह्य परिधिके प्रमाणमें से एक चयके कम कर देनेपर उपान्त्य परिधिका प्रमाण होता है ।। ६७-६८ ।। यथा -- ३१५०८९ + (२३०¥¥¥ × '') = ३१६७०१३ यो. मध्य परिधि = ३१८३१३३ यो. बाह्य परिधि । ये दोनों परिधियां सूर्यकी उक्त परिधियोंसे क्रमशः ७ = ६, और ३३ = ६१ योजनसे हीन हैं- सूर्य की मध्यम वीथीकी परिधि ३१६७०२ यो., ३१६७०२–१६७÷३१६७०१४३७ सूर्य की बाह्य वीथीकी परिधि ३१८३१४; ३१८३१४५३३
३१५०८९ + (२३०¥¥¥ × १४)
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