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-२.४४]
द्वितीयो विभागः शैलाग्राभिमुखा द्वीपाः पालयोस्ते विषाणिनाम् । अभाषाणां च चत्वारः शशकाः पूर्वपश्चिमाः॥४३ धातकोखण्डमासन्नास्तथा तावन्त एव च २४ । षडभ्यस्ताष्टका: स्युस्ते ४८ स्युरष्टादशकुलालयाः।।
एक ओरकी विस्तारहानिका प्रमाण ९५००० योजन होता है । अब यदि ९५००० यो. की विस्तारहानिमें जलकी ऊंचाई १००० यो. है तो वह १ योजनकी विस्तारहानिमें कितनी होगी. इस प्रकार त्रैराशिक करनेसे १ यो. की विस्तारहानिमें जलकी ऊंचाईका प्रमाण इतना प्राप्त होता है --- १९६०४१ = १. यो. । अब चूंकि समुद्रतटसे दिशागत द्वीप ५०० यो., अन्तरदिशागत ५०० यो., विदिशागत ५५० यो. और पर्वतीय पार्श्वभागगत द्वीप ६०० यो. की दूरीपर जाकर स्थित हैं ; अतएव १६ को क्रमशः उपर्युक्त चार राशियोंसे गुणित करनेपर उन द्वीपोंके पास जलकी ऊंचाईका प्रमाण क्रमशः निम्न प्रकार प्राप्त होता है - २६. x ५०० = ५१२ यो. दि. द्वीप
और अन्तर दि. द्वीप; १५ x ५५० = ५११ यो. विदि. द्वीप; १५ x ६०० = ६.६६ यो. पर्वतीय द्वीप । यह सम भूभागसे नीचेकी ऊंचाईका प्रमाण हुआ। ऊपर जलशिखापर उनका जलोत्सेध इस प्रकार है--
सम भूभागसे ऊपर जलशिखाकी ऊंचाई १६००० यो. है । अब जब ९५००० यो. विस्तारकी हानिमें जलकी ऊंचाईका प्रमाण १६००० यो. है तब वह १ यो. विस्तारकी हानिमें कितना होगा, इस प्रकार पूर्वोक्त रीतिसे त्रैराशिक द्वारा वह इतना प्राप्त होता है -- १६९९००४१ = १६ यो.। इसको क्रमशः उपर्युक्त द्वीपोंकी दूरीसे गुणित करनेपर उन उन द्वीपोंके पास जल शिखाकी ऊंचाईका प्रमाण निम्न प्रकार प्राप्त होता है--१६४ ५०० = ८४११ यो. दिशागत व अन्तरदिशागत ; १६ x ५५० = ९२३३ यो. विदिशागत; १६ x ६०० = १०१३ यो. पर्वतीय पार्श्वस्थ द्वीपोंके पास जलशिखाकी ऊंचाई । अब चूंकि जलके ऊपर भी ये द्वीप १ योजन प्रमाण ऊंचे हैं अत एव क्रमसे अपने अपने द्वीपोंके पासकी नीचे और ऊपरकी सम्मिलित जलकी ऊंचाईमें १ योजनको और मिला देनेपर यथाक्रमसे अपने अपने स्थानमें इन द्वीपोंकी ऊंचाईका प्रमाण निम्न प्रकार प्राप्त होता है-- ५० + ८४१ + १ = ९०६६ यो.; यह दिशागत और अन्तरदिशागत द्वीपोंकी ऊंचाईका प्रमाण है । ५.१५ + ९२१२ + १ = ९९६९ यो.; यह विदिशागत द्वीपोंकी ऊंचाईका प्रमाण है । ६ --- १०१३३ - १ = १०८१४; यह पर्वतीय पार्श्वभागोंमें स्थित द्वीपोंकी ऊंचाईका प्रमाण है।
पर्वतोंके अग्रभागोंके अभिमुख जो द्वीप हैं वे विषाणियों तथा अभाषकोंके दोनों पार्श्वभागोंमें हैं । चार शशक द्वीप पूर्व-पश्चिममें हैं (?) ॥४३ ॥ जितने अन्तरद्वीप जंबूद्वीपकी ओर लवण समुद्र में स्थित हैं उतने ही वहां धातकीखण्ड द्वीपके निकट भी स्थित हैं । इस प्रकार दोनों ओरके वे सब द्वीप छहसे गुणित आठ अंक प्रमाण अर्थात् अड़तालीस (४८) हैं । वे सब द्वीप
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