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नयज्ञान की मोक्षमार्ग में उपयोगिता )
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अर्थ :- सामान्य और विशेष स्वरूप अर्थात् द्रव्य और पर्याय स्वरूप पदार्थ प्रमाण का विषय होता है।
प्रमेय का स्वरूप स्याद्वादमजंरी अध्याय १० "द्रव्य-पर्यायात्मक-वस्तु-प्रमेयम्" अर्थ :- द्रव्य-पर्याय-रूप-वस्तु ही प्रमेय है।
प्रत्यक्षज्ञान आलापपद्धति सूत्र ३७ "केवल-सकल-प्रत्यक्षं केवलज्ञान सकल प्रत्यक्ष है।
परोक्ष-ज्ञान आलापपद्धति ३८ “मतिश्रुतयेपरोक्षे मतिज्ञान और श्रुतज्ञान परोक्ष ज्ञान है।
नयज्ञान क्या है ? आलापपद्धति सूत्र ३९ “तद्वयवा : नया:" प्रमाण के अवयव नय है। राजवार्तिक अ.। सूत्र-३३ “प्रमाण प्रकाशितार्थ विशेष प्ररूपको नयः” ____ अर्थ :- प्रमाण द्वारा प्रकाशित पदार्थ का विशेष निरूपण करने वाला नय है।
नयों के भेद द्रव्यस्वभावप्रकाशकनयचक्र गाथा १८२ "णिच्छयववहारणयामूलभेया णचाणसव्वाणं । णिच्छयसा हणहेऊं पज्जयदव्वतिस्थयं मुणह ।।" ॥ १८२ ।।
अर्थ :- नयों के मूलभूत निश्चय और व्यवहार दो भेद माने गये हैं। उसमें निश्चयनय तो द्रव्याश्रित है और व्यावहारनय पर्यायाश्रित है; ऐसा समझना चाहिए। ॥ १८२ ॥
इस विषय को विस्तार से समझने के लिए पाठकगणों को इसी पुस्तक श्रृंखला में सुखी होने का उपाय भाग-२ के “प्रमाण नयरधिगमः'
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