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________________ विषय प्रवेश) (३९ है। पूज्य स्वामीजी का उपरोक्त निर्देश भी स्पष्ट करता है कि सम्यग्दर्शन प्राप्त करने का मात्र यही उपाय है, अन्य कोई नहीं। उपरोक्त पद्धति के अन्तर्गत इस पुस्तक के पूर्वभागों का विषय एवं वर्तमान भाग-५ का विषय भी इस टीका के पूर्व चरण “प्रथम श्रुतज्ञान के अवलंबन से ज्ञानस्वभावी आत्म का निर्णय करके” मात्र उसकी पूर्ति करने के लिए ही चल रहा है। आत्मा को ज्ञानस्वभावी स्वीकार करने में, बाधक रूप से लगने वाली अनेक शंकाओं का निराकरण हुए बिना “मैं ज्ञानस्वभावी हूँ , अन्य कोई प्रकार का दिखने में आता हो अथवा कहा जाता हो तो भी, मैं तो किसी भी प्रकार अन्य स्वभावी नहीं हूँ ऐसी श्रद्धा नि:शंक रूप से जाग्रत नहीं होती। ऐसी श्रद्धा के अभाव में रुचि का केन्द्रबिन्दु अकेला ज्ञायक भाव नहीं बनता। सब ओर से रुचि सिमटकर जब तक ज्ञायक के सन्मुख नहीं होती तब तक, उपरोक्त टीका के उत्तर चरणों की पूर्ति होना तो संभव हो ही नहीं सकती। फलत: आत्मानुभव की प्राप्ति भी नहीं हो सकती। उपरोक्त अनेक बाधक शंकाओं का निराकरण तो पूर्व भागों में हो ही चुका है। इस भाग का मूल विषय तो, मात्र एक आत्मा ही रहेगा। आत्मद्रव्य की हर समय पर्याय तो होती ही है, पर्याय द्रव्य से भिन्न नहीं हो सकती तथा द्रव्य पर्याय से भिन्न नहीं हो सकता। उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य तीनों मिलकर सत् तो एक ही हैं तथा प्रदेश भी द्रव्य और पर्याय के एक ही हैं। प्रवचनसार में तो यहां तक कहा गया है कि द्रव्य पर्याय से तन्मय होता है, पर्याय जब शुद्ध है तो आत्मा भी शुद्ध है और पर्याय जब अशुद्ध है तो आत्मा भी अशुद्ध है। इसप्रकार पर्याय द्रव्य से अभेद ही रहती है। दोनों को भिन्न करना संभव ही नहीं लगता। पंचास्तिकाय ग्रन्थ की गाथा ६२ में कहा है कि षट्कारक रूप से आत्मा अपनी विकारी, निर्विकारी पर्याय का कर्ता है। हमारे अनुभव में भी आता है कि जब हमको किसी भी प्रकार के भाव उत्पन्न होते हैं उस समय ऐसा लगता है कि आत्मा ही उस रूप हो गया हो। इसप्रकार द्रव्य और पर्याय की अभिन्न स्थिति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001866
Book TitleSukhi Hone ka Upay Part 5
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Patni
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2007
Total Pages246
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & philosophy
File Size13 MB
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