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________________ — ५८) ( सुखी होने का उपाय भाग-४ उत्तर - मेरे जीवतत्त्व के अतिरिक्त जाति अपेक्षा छह प्रकार के द्रव्य सभी मेरे से भिन्न अस्तित्व धारण करने वाले परज्ञेय हैं। संख्या अपेक्षा तो अनन्तानन्त हो जाते हैं, जैसे अनन्त जीवद्रव्य हैं, वे सभी जीवद्रव्य होते हुए भी मेरे से भिन्न होने से परज्ञेय हैं। इसके अतिरिक्त अनन्तानन्त पुद्गल परमाणु, उनमें मेरा शरीर आदि तथा मेरे से सम्बन्धित समस्त कर्म नोकर्म आदि तथा स्त्री, पुत्र, कुटुम्ब, धन, मकान, जायदाद आदि समस्त परिकर सम्मिलित हो जाते हैं, वे सभी जिनके द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव ही मेरे से भिन्न हैं, परज्ञेय रूप से ज्ञात होने से मेरे से भिन्न एवं उपेक्षा योग्य हैं । इसीप्रकार धर्म, अधर्म आकाश, काल कितने भी विस्तृत हों, कितने ही बड़े हों, सभी मेरे लिए परज्ञेय होने से मेरे लिए उपेक्षा करने योग्य हैं । उनका अलग अस्तित्व होने से, वे मेरी आज्ञानुसार परिणमित नहीं होते। वे मेरे ज्ञान में ज्ञात हो जाने मात्र से, मेरे कैसे हो सकते हैं? सारांश यह है कि उनके परिणमन ज्ञान में ज्ञात होने पर भी मेरी उनके प्रति अत्यन्त उपेक्षाबुद्धि रहनी चाहिए। प्रश्न - लेकिन मेरे जीवतत्त्व के अतिरिक्त जो भी मेरे ज्ञान में ज्ञात हो, वे सभी परज्ञेय है, वे सभी पर होने से उपेक्षा योग्य है। उपरोक्त कथनानुसार उनमें तो अजीव पदार्थों के अतिरिक्त, मेरे स्वयं के अन्दर उत्पन्न होने वाले समस्त प्रकार के शुद्धाशुद्ध- परिणमन = आस्रव, बंध, संवर, निर्जरा और मोक्ष आदि सभी प्रकार के संयोगीभाव भी आ जावेंगे? वे सभी भाव मेरे असंख्यात प्रदेशी क्षेत्र में ही तो उत्पन्न होते हैं और मेरे ज्ञान में ज्ञात भी होते हैं; लेकिन उनमें मेरी चेतना अर्थात् उपयोग का अभाव होने से वे जीवतत्त्व भी नहीं हो सकते? इसलिये उनको स्वज्ञेय भी नहीं माना जा सकता? ऐसी स्थिति में तो उन सभी का परज्ञेयों में ही समावेश हो जाता है? अत: सभी को अजीवतत्त्व में ही सम्मिलित कर लेना चाहिए था? उनको अलग-अलग तत्त्व के रूप में कहने का क्या रहस्य है? For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001865
Book TitleSukhi Hone ka Upay Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Patni
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1999
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & philosophy
File Size11 MB
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