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________________ यथार्थ निर्णयपूर्वक ज्ञातृतत्त्व से ज्ञेयतत्त्व का विभागीकरण ) ( १२३ कर्म हैं । इसप्रकार अनादिकालीन अज्ञान से होने वाली यह (आत्मा की) कर्ता कर्म की प्रवृत्ति है।" इसप्रकार स्पष्ट है कि अज्ञान ही रागादि का उत्पादक है और ज्ञान तो ज्ञेयों के प्रति उपेक्षित रहने से रागादि का उत्पादक हो ही नहीं सकता। सुख अथवा दुःख का उत्पादक ज्ञान नहीं आत्मा ज्ञानस्वभावी ही है। ज्ञान के बिना आत्मा नाम की कोई वस्तु ही नहीं रहेगी एवं आत्मा के बिना ज्ञान का अस्तित्व नहीं रहेगा। इसप्रकार ज्ञान और आत्मा अभेद है। ज्ञान के व्यापार का नाम उपयोग है, शास्त्र में कहा भी है कि “चैतन्य अनुविधायी परिणाम: उपयोगः।” इसप्रकार आत्मा के ज्ञानस्वभाव का परिचायक एकमात्र उपयोग है। आत्मा का स्वभाव जानने का है । वह उपयोग वास्तव में तो अपने स्वामी को जानता है, क्योंकि पर्याय का कार्यक्षेत्र स्वयं द्रव्य ही है। इसलिए जानने का कार्य स्वमुखापेक्ष होता है। उपयोग का स्वभाव, स्वसामर्थ्य द्वारा ही स्व-परप्रकाशक है अर्थात् वह स्व एवं पर का ज्ञायक है। ज्ञानगुण ही उस जाननक्रिया का स्वामी है। लेकिन ज्ञानगुण जिसमें निवास करता है। अर्थात् अभेद होकर रहता है; ऐसा वह ज्ञायक स्वभावी आत्मा, उस ज्ञान का भी स्वामी होने से, जाननक्रिया का स्वामी भी, वास्तव में वह आत्मा ही है । इसप्रकार आत्मा ही एक ज्ञायक है बाकी जो कुछ भी जाननक्रिया के जानने में आ रहे हैं वे सब पर ही हैं । ज्ञानी ऐसा ही जानता एवं मानता है। इसप्रकार सम्यग्ज्ञानी तो स्व एवं पर के विभागीकरणपूर्वक मात्र एक त्रिकालीज्ञायकभाव को तो स्व के रूप में एवं उसके अतिरिक्त जितना जो कुछ भी जानने में आता हो, सबको पर के रूप में स्वीकारता है। परज्ञेयों के विस्तार को समझें तो स्वआत्मा के अतिरिक्त अन्य छहों द्रव्य तो पर हैं ही, उनमें अपना शरीर एवं शरीर से सम्बन्धित स्त्री, पुत्र, कुटुम्ब, रुपया, मकान आदि सभी पदार्थों का समावेश हो जाता है। इसके अतिरिक्त अपने आत्मा में ही उत्पन्न होने दाले (स्व प्रकाशकज्ञान के अतिरिक्त) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001865
Book TitleSukhi Hone ka Upay Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Patni
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1999
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & philosophy
File Size11 MB
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