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________________ अपनी बात ) और उसके अभाव में सविकल्प आत्मज्ञान के विषय को, स्पर्श करना भी सम्भव नहीं हो सकता। अत: इस चतुर्थ भाग में यथार्थ निर्णय के प्रथम चरणरूप ज्ञानतत्त्व को ज्ञेयतत्त्व से विभागीकरण की विधि समझकर, उससे उत्पन्न भेदज्ञान के आधार पर, अपने ज्ञातास्वरूप को यथार्थ पहिचान करके, ज्ञातृतत्त्व में अहंपना स्थापित कर, ज्ञेयमात्र के प्रति परपने की श्रद्धा जागृत हो - मात्र इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए इस पुस्तक में चर्चा आ सकी है। समयसार गाथा १४४ की टीका के प्रथम चरण – “प्रथम श्रुतज्ञान के अवलम्बन से ज्ञानस्वभाव आत्मा का निश्चय करके” की पूर्ति करने हेतु इस पुस्तक में चर्चा की गई है । आत्मा अपने ज्ञान-स्वभाव को भूलकर, ज्ञान में ज्ञात ज्ञेयों में एकत्वबुद्धि कर, ज्ञेय-ज्ञायक का संकरदोष उत्पन्न करता है, इन विषयों पर इस पुस्तक में चर्चा की गई है। सर्वप्रथम इन भूलों का अभाव करना अत्यन्त आवश्यक है। आगामी भाग ५ में भी उपरोक्त टीका के प्रथम चरण के अन्तर्गत ही, आत्मा के विकारी भावों में एकत्वरूपी दोष के अभाव करने के उपायों पर चर्चा करनी है। आत्मा को जब तक यह श्रद्धा जागृत नहीं होती कि “मेरे में रागादि उत्पन्न होते हुए भी मैं तो उन परिणमनों के काल में भी, विकार को जानने वाली क्रिया का कर्ता था, विकार को करने वाला तो मैं था नहीं; इसलिये मैं तो एकमात्र ज्ञानस्वभावी अर्थात् अकर्ता स्वभावी हूँ, ज्ञानस्वभाव को भूलकर मेरे द्वारा ही मुझे अन्यस्वभावी जाना-माना जाता रहा है, तो भी मैं तो मात्र ज्ञानस्वभावी ही रहा हूँ, किसी अन्यस्वभावी हुआ ही नहीं।” अज्ञानी अपनी ही अनित्यस्वभावी क्षण-क्षण में बदलती हुई पर्यायों के साथ एकत्वबुद्धि कर, अकर्ता ज्ञानस्वभाव को भूलकर, उनमें कर्तृत्वबुद्धि करके मिथ्यादृष्टि बना रहता है। इसप्रकार की भूलों में प्रथम भूल ज्ञेय-ज्ञायक संकरदोष के अभाव करने की चर्चा तो इस पुस्तक में कर ही रहे हैं तथा अपनी ही पर्यायों में उत्पन्न होने वाले विकारी भावों के कर्तापने के अभाव करने की चर्चा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001865
Book TitleSukhi Hone ka Upay Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Patni
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1999
Total Pages194
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & philosophy
File Size11 MB
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