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________________ ४६] [ सुखी होने का उपाय किसी भी अन्य द्रव्य में किसी समय भी नहीं रहेगा यह भी उस वर्तमान पर्याय की स्वतंत्रता को सिद्ध करता है। __ अन्योन्याभाव :- एक पुद्गल द्रव्य की वर्तमान पर्याय का दूसरे पुद्गल द्रव्य की पर्याय में अभाव रहने को अन्योन्याभाव कहते हैं, अर्थात् एक ही स्कन्ध में अनेक पुद्गल द्रव्य यानी अनेक परमाणु एक साथ रहते हुए भी एक-एक परमाणु की अपनी-अपनी वर्तमान पर्याय में अभाव ही वर्तता है। यह है हर एक परमाणु की हर एक पर्याय की स्वतंत्रता, जैसे एक अधपकी हरी आम की कैरी (आम) है, उस आम के स्कन्ध को हर एक दिन गहराई से देखेंगे तो ज्ञात होगा कि पहले दिन जो परमाणु हरे रूप में थे कालान्तार में उनमें से कुछ परमाणु हरे रूप में हैं और कुछ हरे से पीले हो गये हैं, हर समय उसके हर एक परमाणु स्वतंत्रता से अपनी-अपनी पर्याय को कर रहे हैं। साथ ही रहनेवाला अन्य परमाणु भी स्वयं अपनी पर्याय को स्वतंत्रता से अनवरत रूप से करता हुआ अपना अस्तित्व बनाए हुए है। इसप्रकार हर एक परमाणु की हर एक पर्याय की स्वतंत्रता सिद्ध होती है। ___ अत्यन्ताभाव :- एक द्रव्य में दूसरे अन्य द्रव्य के अभाव को अत्यन्ताभाव कहते हैं। शाब्दिक अर्थ से भी स्पष्ट है कि अत्यन्त अभाव = अत्यन्ताभाव अर्थात् एक द्रव्य के अस्तित्व का दूसरे द्रव्य के अस्तित्व में अत्यन्त अभाव ही वर्तता है । जब किसी भी द्रव्य का दूसरे में अत्यन्त अभाव ही है तो वह उस द्रव्य में कुछ भी फेर-फार, मदद, असर, प्रेरणा आदि कैसे कर सकेगा? तात्पर्य यह है कि प्रत्येक द्रव्य अपनी-अपनी पर्याय तो कर सकेगा, लेकिन अन्य द्रव्य कि किसी भी पर्याय में किंचित्मात्र भी कुछ भी नहीं कर सकता। क्योंकि उन दोनों का आपस में एक का दूसरे में अत्यन्त अभाव है। चारों अभाव के प्रकरण से हमको ऐसी शिक्षा प्राप्त होती है और ऐसा श्रद्धान उदित होता है कि मैं एक जीवद्रव्य हूँ, मेरे में, मेरे शरीराकार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001862
Book TitleSukhi Hone ka Upay Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Patni
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2007
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & philosophy
File Size7 MB
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