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धान्यों का अंकुरोत्पत्ति-शक्ति
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भगवान् - "जो कुछ शालि के लिए कहा, वही इसका भी उत्तर है । इनकी अवधि ५ वर्ष जाननी चाहिए । शेष पूर्व सदृश्य ही है । " गौतम - "अलसी, कुसुंभग, कोदव, कंगु, वरग, राग, कोदूसण, राग, सरसो, मूलगीय ये पूर्वोक्त विशेषण वाले हों तो इनकी योनि कितने काल तक रहेगी ?
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भगवान् - " सात वर्ष तक । शेष उत्तर पूर्व सदृश्य ही है ।
शालिभद्र की दीक्षा
राजगृह में शालिभद्र नामक एक व्यक्ति था । उसके पिता का नाम गोभद्र और माता का नाम भद्रा था । गोभद्र ने भगवान् महावीर के पास दीक्षा ले ली थी औ विधिपूर्वक अनशन करके देवलोक गया था । इस शालिभद्र को ३२ पत्नियाँ थीं और वह बड़े ऐश्वर्य से अपना
१ - ' कुसुंभग' त्ति लट्टा - भगवतीसूत्र सटीक, पत्र ४६६
२ - 'वरग' त्ति वरट्टो - भगवतीसूत्र सटीक, पत्र ४६६ बरें – संस्कृत - शब्दार्थ कौस्तुभ, पृष्ठ ७३८
३- - रालग' ति कङ्ग विशेषः - भगवतीसूत्र सटीक, पत्र ४६६
४ - ' कोदूसरा ' त्ति कोद्रव विशेषः -- भगवतीसूत्र सटीक, पत्र ४६६ ५- 'मूलगबीय' त्ति मूलक बीजानि शाक विशेष बीजानीत्यर्थः - भगवतीसूत्र सटीक, पत्र ४६६
६ - बीजों की योनि-शक्ति का उल्लेख प्रवचन - सारोद्धार सटीक ( उत्तरार्द्ध ) -द्वार १५४, गाथा १६५ - १००० पत्र २६६ - १ से २६७- १ में भी है । धान्यों के सम्बन्ध में श्रावकों के प्रकरण में धन-धान्य के प्रसंग में हमने विशेष विचार किया है । जिज्ञासु पाठक वहाँ देख लें ।
पत्र
- त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र पर्व १०, सर्ग १०, श्लोक ८४ १३३-१, उपदेशमाला सटीक गाथा २० पत्र २५६ तथा भरतेश्वर बाहुबलि - वृत्तिभाग १, पत्र १०७-१ में भी गोभद्र के साधु होने का उल्लेख है ।
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