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जमालि की प्रव्रज्या जमालि को बहुत समझाया, पर वह अपने विचार पर दृढ़ रहा और अन्त में माता-पिता की आज्ञा लेकर जमालि बड़ी धूमधाम से भगवान् के पास आया और ५०० व्यक्तियों के साथ उसने दीक्षा ले ली।
उस जमालि ने सामायिक आदि तथा ११ अंगों का अध्ययन किया और चतुर्थभक्त, छछ, अट्टम, मासार्द्ध और मास क्षमण-रूप विचित्र तप करता हुआ अपनी आत्मा को भावित करता हुआ विहार करने लगा।' ___ इसी सभा में भगवान् की पुत्री ( जमालि की पत्नी) प्रियदर्शना ने भी १००० स्त्रियों के साथ दीक्षा ली।
कालान्तर में ( भगवान् के केवल ज्ञान के १४ वर्ष पश्चात् ) यही जमालि प्रथम निह्नव हुआ और भगवान् के संघ से पृथक हो गया । 'निह्नव' की टीका जैन-शास्त्रों में इस प्रकार की गयी है :निहनुवते अपलपन्त्यन्यथा प्ररूपयन्तीति प्रवचन निह्नवा
ठाणांग सूत्रा सटीक, उच रार्द्ध, पत्रा ४१०-१ हम इस मतभेद आदि का उल्लेख आगे इसी खण्ड में यथास्थान करेंगे। वह वर्षावास भगवान् ने वैशाली में बिताया।
१ भगवतीसूत्र सटीक, शतक ६, उद्देशः ६, सूत्र ३८३-३८७ पत्र ८४६-८६३।
२-त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र, पर्व १०, सर्ग ८, श्लोक ३६ पत्र १००-१; गुणचन्द्र-रचित 'महावीरचरियं' प्रस्ताव ८, पत्र २६५-२
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