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________________ १२ तीर्थङ्कर महावीर देशना समाप्त होने के बाद श्रेणिक राजा अपने समस्त परिवार सहित राजमहल में वापस लौट आया । मेषकुमार की प्रव्रज्या श्रेणिक राजा के राजमहल में आने के पश्चात्, मेघकु मार' ने श्रेणिक और धारिणी देवी को हाथ जोड़कर कहा-"आप लोगों ने चिरकाल तक मेरा लालन-पालन किया । मैं आप लोगों को केवल श्रम देने वाला ही रहा । पर, मैं इतनी प्रार्थना करता हूँ कि, मैं दुःखदायी जगत से थक गया हूँ । भगवान् महावीर स्वामी पधारे हैं। यदि अनुमति दें तो मैं साधु-धर्म स्वीकार कर लूँ।" माता-पिता ने मेघकुमार को बहुत समझाया 'पर मेघकुमार अपने विचार पर दृढ़ रहा ।। हारकर श्रेणिक ने कहा--"हे वत्स ! तुम संसार से उद्विग्न हो गये हो; फिर भी मेरा राज्य कम-से-कम एक दिन के लिए, ग्रहण करके मेरी दृष्टि को शांति दो।” मेघकुमार ने पिता की बात स्वीकार कर ली ! बड़े समारोह से मेघकुमार का राज्याभिषेक हुआ। फिर, श्रेणिक ने पूछा"हे पुत्र, मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूँ?” इस पर मेघकुमार बोला"पिताजी, यदि आप मुझपर प्रसन्न हैं तो कुत्रिकापण' से मुझे रजोहरण( पृष्ठ ११ की पादटिप्पणि का शेषांश ) ३-श्रुत्वा तां देशना भतु : सभ्यक्त्वं श्रेणिकोऽश्रयत् । श्रावक धर्म त्वभय कुमाराद्याः प्रपेदिरे ॥ ३७६॥ -त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र, पर्व १०सर्ग ६, पत्र ८४-६ एमाई धम्मकहं सोउ सेणिय निवाइया भव्वा । संमत्तं पडिवन्ना केई पुण देस विरयाइ ॥ १२६४ ॥ -नेमिचन्द्र-रचित महावीर-चरियं, पत्र ७३-२ १-मेघकुमार का वर्णन ज्ञाताधर्मकथा के प्रथम श्रुतस्कंध के प्रथम अध्ययन में विस्तार से आता है । जिज्ञासु पाठक वहाँ देख सकते हैं। २-देखिए पृष्ठ १७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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